मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल मे खजुराहो , सांची , भीमबेटका , पचमढ़ी , अमरकंटक , मांडू , चित्रकूट भेड़ाघाट , उज्जैन , ओमकारेश्वर , महेश्वर , ओरछा , मैहर , शिवपुरी का वर्णन किया गया है I
मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलो का विकास करने की दृष्टि से वर्ष 1978 में मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम का गठन किया गया निगम का कार्य पर्यटकों को पर्यटन स्थलो की जानकारी सुलभ कराना, पर्यटन स्थलों पर साहित्यिक प्रकाशन पर्यटकों को परिवहन सुविधा उपलब्ध कराना तथा पर्यटन स्थल पर आवासीय गैर आवासीय इकाईयो का संचालन करना है।
मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम आदर्श वाक्य “अतुल्य भारत का ह्रदय ” ( द हार्ट आफ इनक्रेडिबल इंडिया ) है।
जुलाई 2005 मे पर्यटन क्षेत्रों के विकास एवं प्रबंधन के लिए मध्य प्रदेश इको पर्यटन विकास बोर्ड का गठन किया गया I
22 फरवरी 2017 में पर्यटन विकास एवं प्रोत्साहन के लिए को मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड का गठन किया गया।
5 सितंबर 2012 को मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम पर्यटन नीति की घोषणा की गई जिसमें पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया I
16 सितंबर 2016 को प्रदेश सरकार द्वारा नवीन पर्यटन नीति और पर्यटन कैबिनेट का गठन किया गया।
28 फरवरी 2017 को प्रदेश में जल पर्यटन की गतिविधियों को संचालित करने के लिए जल पर्यटन नीति लागू की गई।
वर्ष 2007 में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय से उत्कृष्टता का पुरस्कार मिला I
मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों मुख्य रूप से तीन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
Table of Contents
खजुराहो – छतरपुर
खजुराहो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है I
खजुराहो चंदेल राजाओं की राजधानी थी I
चंदेल शासकों की अमूल्य धरोहर खजुराहो की नींव प्रसिद्ध राजा चंद्र वर्मा ने रखी थी I
खजुराहो प्राचीन नाम खजूरपुरा और खजूर वाहक है। यहां हिंदू एवं जैन मंदिर स्थित है I
खजुराहो में मंदिरों की संख्या 85 थी किंतु वर्तमान में 22 मंदिर बचे हैं जो लगभग 6 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हैं।
खजुराहो पर अनेक भव्य मंदिरों का निर्माण नागर शैली तथा पंचायतन शैली में हुआ है I
खजुराहो अंतरराष्ट्रीय ख्याती प्राप्त है और नियमित वायु सेवा से जुड़ा हुआ है I
चंदेल शासकों ने इनका निर्माण 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच करवाया I
सामान्य रुप से खजुराहो के मंदिर लाल बलुआ पत्थर ( बुंदेलखंड का कालिंजर क्षेत्र ) से बने हुए हैं लेकिन चौसठ योगिनी , ब्रम्हा तथा ललगुआ महादेव मंदिर ग्रेनाइट पत्थर के बने हुए हैं I
नोट :- चौसठ योगिनी मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट से बना है I
वर्तमान समय में खजुराहो में जो मंदिर खड़े हैं उनमें से 6 भगवान शिव को , 8 भगवान विष्णु को , 1 भगवान गणेश और सूर्य भगवान को समर्पित हैं I
यशोवर्मन जिन्हें लक्ष्मणबर्मन के नाम से भी जाना जाता है इन्होंने 925 – 950 ईसवी के बीच शासन किया और प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर की स्थापना की I
लक्ष्मण बर्मन के पुत्र राजा धंग ने दो प्रसिद्ध मंदिरों विश्वनाथ मंदिर और विद्यानाथ मंदिर का निर्माण कराया जो भगवान शिव को समर्पित हैं तथा जैन उपवासको के लिए पार्श्वनाथ मंदिर की स्थापना की I
खजुराहो की मंदिरों में सबसे बड़ा कंदरिया महादेव मंदिर है जो भगवान शिव का मंदिर है जिसका निर्माण चंदेल शासक विद्याधर (1017-1029 ईसवी ) के शासन के दौरान हुआ था I
चित्रगुप्त मंदिर खजुराहो का एकमात्र सूर्य मंदिर है I
खजुराहो के मंदिर बिना किसी परकोटे के ऊंचे चबूतरे में निर्मित किए गए हैं।
खजुराहो भारतीय आर्य स्थापत्य कला एवं वास्तुकला नायब मिसाल है I
यशोवर्मन ने कन्नौज पर आक्रमण कर प्रतिहार राजा देवपाल को हराया तथा उससे एक विष्णु प्रतिमा प्राप्त कर खजुराहो के विष्णु मंदिर में स्थापित किया।
प्रदेश में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक खजुराहो में आते हैं I
भारत के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में खजुराहो का तीसरा स्थान है I
खजुराहो को 1986 में यूनेस्को ने अपनी विश्व विरासत सूची में विश्व संपदा के रूप में शामिल किया है यह प्रदेश का प्रथम स्थान था जिसे यूनेस्को में शामिल किया गया I
मोरक्को यात्री इब्नबतूता ने अपने लेखों में प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर का उल्लेख किया था I
खजुराहो में मैथुन एवं रतिक्रीड़ाओं का सजीव चित्रण किया गया है I
खजुराहो के मंदिरों को परिसर के भीतर तीन समूहों में उनके स्थान के अनुसार वर्गीकृत किया गया है –
सांची – रायसेन
सांची मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में बेतवा नदी के तट पर स्थित एक छोटा सा गांव है I
सांची को प्राचीन समय में काकानाया या काकानावा के नाम से जाना जाता था I
सांची के स्तूप का निर्माण मौर्य शासक अशोक के द्वारा तीसरी शताब्दी में बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने के बाद करवाया गया I
सांची के स्तूप में वेदिका का निर्माण मौर्योत्तर काल में पुष्यमित्र शुंग द्वारा करवाया गया I
सांची बौद्ध पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है I
सांची पर बुद्ध का प्राचीन स्तूप है यह भारत का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है जिसे महान स्तूप कहते हैं I
सांची के स्तूप की खोज सन 1818 में जनरल टेलर द्वारा किया गया I
सांची स्तूप का व्यास 36.5 मीटर और ऊंचाई लगभग 21.64 मीटर है I
सन 1912 में सर जान मार्शल पुरातत्व विभाग के महानिदेशक ने इस स्थल पर खुदाई कार्य का आदेश दिया I
सांची का स्तूप पक्की ईंटों से बना हुआ है।
सांची के स्तूप में चार तोरण द्वार हैं I
सांची के स्तूप को 1989 में विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया वर्तमान में यूनेस्को की एक परियोजना के तहत सांची तथा एक अन्य बौद्ध स्थल सतधारा कि आगे खुदाई , संरक्षण तथा पर्यावरण का विकास किया जा रहा है I
सांची के स्तूप में बुद्ध के अवशेष रखे हुए हैं।
सांची स्तूप के पास दो अन्य छोटे स्तूप भी हैं जिनमें से स्तूप क्रमांक 2 में उनके दो शिष्यो सारिपुत्र और महा मोगल्लायाना के अवशेष रखे गए हैं।
सांची के स्तूप के समीप एक बौद्ध मठ के अवशेष हैं यहां बौद्ध भिक्षुओं के आवास थे यहीं पर पत्थर का एक विशाल कटोरा है जिससे भिक्षुओ में अन्न बांटा जाता था I
सांची के स्तूप के शिलालेख ब्राम्ही लिपि में है I
सांची के स्तूप में देखी जाने वाली सजावट की शैली को भरहुत कहा जाता है।
सांची में उत्खनन के दौरान खोजी गई वस्तुओं को रखने के उद्देश्य से 1919 में सर जॉन मार्शल द्वारा सांची की पहाड़ी की चोटी पर एक छोटा सा संग्रहालय स्थापित किया गया I
सांची स्तूप के तोरण द्वार पर बुद्ध के जीवन की झलकियां उत्कीर्ण है I
एकमात्र सांची ऐसा स्थान है जहां बौद्ध कालीन शिल्प कला के सारे नमूने विद्यमान हैं यहां के स्तूप चैत्य और बिहार सभी बौद्ध कला के सर्वोत्कृष्ट नमूने हैं I
भीमबेटका – रायसेन
भीमबेटका शब्द ” भीमबैठका ” से लिया गया है जिसका अर्थ है भीम के बैठने की जगह I
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर रायसेन जिले के अब्दुल्लागंज के निकट भीमबेटका की विश्व प्रसिद्ध गुफाएं स्थित हैं I
भीमबेटका के शैलाश्रय तथा उसमें उपलब्ध शैलचित्रों की खोज का श्रेय प्रसिद्ध पुरातत्व शास्त्री स्व. डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर को जाता है , उन्होंने इस स्थल की खोज वर्ष 1957-58 में की थी I
भीमबेटका को वर्ष 2003 में यूनेस्को ने अपनी विश्व विरासत सूची में शामिल किया था I
भीमबेटका की गुफाएं शैलचित्रों के लिए प्रसिद्ध है यहां 500 से अधिक गुफाओं में लाखों साल पहले गुफा वासियों के रोजमर्रा का जीवन दर्शाते शैलचित्र है I
भीमबेटका विश्व का सबसे बड़ा गुफा समूह है I
भीमबेटका में आखेट , युद्ध , पक्षी , धार्मिक तथा व्यक्ति चित्रों का अंकन है I
भीमबेटका में मौजूद सबसे पुराने चित्रों को आज से लगभग 30,000 साल पुराना माना जाता है इन चित्रों में उपयोग किया गया रंग वनस्पतियों से निर्मित थे I
भीमबेटका साइट में सात पहाड़ियों शामिल है I
भीमबेटका की एक चट्टान को चिड़िया रॉक चट्टान के रूप में भी जाना जाता है इस चट्टान पर हिरण, वाइसन , हाथी और बारहसिंघा को चित्रित किया गया है इसके अलावा एक अन्य चट्टान मोर , सांप , शेर और हिरण की एक तस्वीर को चित्रित करती है शिकार करने के दौरान शिकारियों को तीर , धनुष , ढोल , रस्सी और एक सूअर के साथ भी चित्रित किया गया है I
जू रॉक में पशु , मानव के अनेक चित्र उत्कीर्ण है जो विभिन्न कालो में बनाए गए हैं I
पचमढ़ी – होशंगाबाद
पचमढ़ी मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित एक सुंदर पहाड़ी सैरगाह है तथा यह मध्यप्रदेश का हिल स्टेशन है I
पचमढ़ी सतपुड़ा पर्वत श्रंखला के महादेव पहाड़ीयो में स्थित है।
पचमढ़ी को 1999 में प्रदेश का पहला तथा देश का 10 वां बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया I
पचमढ़ी की खोज 1858 में जेम्स फोरसिथ ने की थी इन्होंने यहां पर एक फारेस्ट लाज निर्माण किया और द हाईलैंडस आंफ सेंट्रल इंडिया नामक एक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी जिसमें यहां की उत्कृष्ट सुंदरता का चित्रण है।
पचमढ़ी को अंग्रेजों ने सेना की छावनी के रूप में विकसित किया I
पचमढ़ी का शाब्दिक अर्थ पांच कुटिया जो अब इन विद्यमान पांच गुफाओं की सूचक है I
प्रदेश की सबसे ऊंची पर्वत चोटी धूपगढ़ (1350m) सतपुड़ा श्रेणी के महादेव पर्वत पर स्थित है इसे पहले हरवत्स कोर्ट के नाम से जाना जाता था I
पचमढ़ी पर राजेंद्र गिरी पहाड़ी स्थित है जिसे पहले पैनोरमगिरी के नाम से जाना जाता था I
पचमढ़ी को पर्यटकों का स्वर्ग , सतपुड़ा की रानी , मध्य प्रदेश का कश्मीर तथा मध्यप्रदेश की छत भी कहा जाता है I
पचमढ़ी मध्य प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी है I
पचमढ़ी में प्रियदर्शनी पॉइंट से कैप्टन जेम्सफोरसिथ ने इस खूबसूरत हिल स्टेशन की खोज की थी जिससे इस पॉइंट का मूल नाम फोरसिथपॉइंट था लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर प्रियदर्शनी पॉइंट रख दिया गया I
पांडव गुफाएं महाभारत काल की मानी जाने वाली पांच गुफाएं हैं जिनमें द्रोपदी कोठरी और भीम कोठरी प्रमुख है लेकिन पुरातत्वविद मानते हैं कि यह गुफाएं गुप्त काल की हैं जिन्हें बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था I
वेलकम हेरीटेज गोल्फ व्यू होटल पचमढ़ी में है I
पचमढ़ी में चौरागढ़, पांडव गुफा, जटाशंकर, धूपगढ़, बी फॉल, रजत फॉल, अप्सरा बिहार, महादेव पहाड़ी आदि दर्शनीय स्थल है I
अमरकंटक – अनूपपुर
अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ तहसील में मैकाल पर्वत मालाओं में स्थित तीर्थ स्थल है I
इस स्थान पर ही विंध्य और सतपुड़ा पहाड़ियों का मेल होता है I
अमरकंटक से 3 नदियों का उद्गम होता है नर्मदा, सोन, जोहिला नर्मदा नदी उद्गम नर्मदा कुंड से हुआ है जो पश्चिम की ओर बहती है तथा सोन नदी पूर्व की ओर बहती है जोहिला सोन की सहायक नदी है।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा अमरकंटक को 2005 में पवित्र नगरी घोषित किया गया है I
अमरकंटक मे 24 नवीन एवं प्राचीन मंदिर है प्राचीन मंदिरों को 10 वीं एवं 11वीं शताब्दी में कलचुरी वंश के शासकों ने बनवाया था I
अमरकंटक में नर्मदा माई का मंदिर , नर्मदा कुंड , कपिलधारा , दुग्धधारा , सोन मुड़ा , माई की बगिया , जलेश्वर महादेव मंदिर , सूर्य नारायण मंदिर , गुरु गोरखनाथ मंदिर , ग्यारह रूद्र मंदिर , कलचुरी मंदिर कबीर चौरा , नौ ग्रह मंदिर , जैन मंदिर , आदिनाथ मंदिर , साईं का मंदिर आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल है I
मांडू – धार
मध्य प्रदेश के धार जिले में नर्मदा तट पर स्थित प्रमुख पर्यटन स्थल है I
मांडू अपने प्राकृतिक सौंदर्य और महलों के लिए जाना जाता है I
मांडू अफगान वास्तुकला का साक्षी है I
मांडू 11वीं शताब्दी में तारागंगा या तारंग राज्य का उप भाग था परमारो के समय इसे प्रसिद्धि मिली तथा तेरहवीं शताब्दी में यह क्षेत्र मुस्लिम शासकों के अंतर्गत आ गया यह समय मांडू का स्वर्ण काल था I
मांडू , मालवा के परमार राजाओं की राजधानी रहा है I
विद्यांचल पर्वत श्रृंखला में स्थित होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से इसका बहुत महत्व था I
मांडू यहां के शासक रहे बाज बहादुर और रानी रूपमती की अमर प्रेम कहानी का साक्षी है I
मांडू में प्रवेश होने के लिए 12 गेट हैं मुख्य रास्ता दिल्ली दरवाजा कहलाता है दूसरे गेट :- रामगोपाल दरवाजा, जहांगीर दरवाजा , तारापुर दरवाजा, गाड़ी दरवाजा, आलमगीर दरवाजा, भंगी दरवाजा है।
मालवा के सुल्तानों ने इसका नाम सादियाबाद रख दिया था अर्थात सिटी ऑफ जॉय/आनंद नगरी/खुशियों का शहर रख दिया था I
मांडू में महमूद खिलजी की कब्र है I
सत खंडी मीनार का निर्माण महमूद खिलजी ने करवाया था I
यहां पर दार्शनिक स्थलों में जहाज महल, हिंडोला महल होशंगशाह का मकबरा, जामा मस्जिद अशर्फी महल, रानी रूपमती का महल बाज बहादुर महल, नीलकंठ महल दारा खान का मकबरा, चंपा बावली, दिलावर खान मस्जिद तवेली महल, दाई महल, सत खंडी मीनार आदि प्रसिद्ध है I
चित्रकूट – सतना
चित्रकूट मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है प्राचीन तीर्थ स्थल है जो मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित है I
चित्रकूट मंदाकिनी नदी के किनारे है I
यह चारों तरफ से विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरा हुआ है I
चित्रकूट को अनेक आश्चर्य की पहाड़ी कहा जाता है I
मध्य प्रदेश सरकार ने 2009 में पवित्र स्थल घोषित किया है I
चित्रकूट के दार्शनिक स्थलों में रामघाट में मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित घाटों की कतारें हैं , कामदगिरि , जानकीकुंड , सती अनसूया , हनुमान धारा , रामघाट , जानकी कुंड , भरतकूप आदि शामिल हैं।
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के 14 वर्षों में 11 वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे तथा यहीं से भरत राम की चरण पादुका लेकर लौटे थे I
ब्रह्मा विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनुसुइया के घर जन्म लिया था I
मंदाकिनी नदी को पाईसुनी भी कहा जाता है I
स्वीडन के वैज्ञानिकों ने 1.6 अरब वर्ष पुराने जीवाश्म की एक जोड़ी की खोज की है उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के चित्रकूट क्षेत्र में पाया गया यह सामग्री संरचनात्मक रूप से लाल शैवाल जैसा दिखता है वैज्ञानिकों का दावा है कि यह दुनिया का सबसे पुराना जीवाश्म है I
अकबर के नौ रत्नों में से एक अब्दुल रहीम खानखाना कि यह ऐतिहासिक भूमि है I
भेड़ाघाट – जबलपुर
मध्यप्रदेश के जबलपुर से 13 किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा नदी पर स्थित रमणीयपर्यटक स्थल है I
भेड़ाघाट जलप्रपात नर्मदा एवं बावन नदी के संगम पर स्थित है या प्रपात दोनों ओर से संगमरमर की चट्टानों से घिरा हुआ है भ्रगु ऋषि ने ही तपस्या की थी I
भेड़ाघाट में नर्मदा नदी के दोनों तटों पर संगमरमर की चट्टानें भेड़ाघाट की खासियत है I
भेड़ाघाट को भृगुऋषि की तपस्या स्थली माना जाता है और मान्यता है कि इस स्थान का नाम उन्हीं के नाम पर भेड़ाघाट पड़ा I
भेड़ाघाट अपने खूबसूरत धुआंधार जलप्रपात तथा चोसठ योगिनी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है तथा यहां का मुख आकर्षण बंदर कूदनी है।
संगमरमर की चट्टानों के बीच तीव्र प्रवाह से बहती नर्मदा नदी 60 फुट की ऊंचाई से नीचे गिरती है I
भेड़ाघाट के निकट स्थित चौसठ योगिनी का गोल मंदिर है जिसमें 81 मूर्तियां हैं I
उज्जैन
उज्जैन प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक नगर रहा है I
उज्जैन प्राकृतिक ऐतिहासिक धार्मिक सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से मध्य प्रदेश का प्रमुख नगर है I
उज्जैन में अनेक मंदिर हैं जिनमें महाकालेश्वर का मंदिर प्रसिद्ध है I
उज्जैन में महाकाल अथवा महाकालेश्वर का प्रसिद्ध शिव मंदिर है जो देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है यहां हर 12 वर्षों के बाद कुंभ का मेला लगता है I
उज्जैन में जंतर मंतर है जिसे जयपुर के महाराजा जयसिंह ने 1733 ईसवी में बनवाया था I
उज्जैन में संदीपनी आश्रम है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी I
उज्जैन के मंगलनाथ से भूगोल की उत्पत्ति मानी जाती है I
उज्जैन को मध्य प्रदेश सरकार ने पवित्र नगर घोषित किया है I
सात सागर, नौ नारायण एवं 84 महादेव की परिक्रमा मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में सम्पन्न होती है I
उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर , कालभैरव मंदिर , सांदीपनि आश्रम , जंतर मंतर , गोपाल जी का मंदिर , भर्तहरि की गुफाएं , मंगलनाथ मंदिर , बड़े गणेश का मंदिर , कालियादह आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल है I
ओमकारेश्वर – खंडवा
ओमकारेश्वर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है I
ओमकारेश्वर नर्मदा नदी के बीच मांधाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है यह द्वीप हिंदू पवित्र चिन्ह ओम के आकार में बना है I
ओंकारेश्वर में दो शिवलिंग संयुक्त रूप से होने के कारण इसे ज्योतिर्लिंग कहा जाता है इस ज्योतिर्लिंग को ममलेश्वर ( अमलेश्वर ) के नाम से भी जाना जाता है I
ओमकारेश्वर का प्राचीन नाम मांधाता है I
नर्मदा नदी के तट पर स्थित है मध्यकालीन ब्राह्मण शैली में बना ओंकार मांधाता का सुंदर मंदिर है I
ओमकारेश्वर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पवित्र स्थल घोषित किया गया है I
ओमकारेश्वर में ओमकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान , जल विद्युत केंद्र , 24 अवतार मंदिर , गौरी सोमनाथ मंदिर , महादेव मंदिर , शंकराचार्य की गुफाएं , सिद्धनाथ मंदिर , ममलेश्वर मंदिर , मार्कंडेय आश्रम , ओमकारेश्वर मंदिर आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल है I
महेश्वर – खरगोन
महेश्वर मध्य-प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित है यह नर्मदा नदी के तट पर बसा सुंदर नगर है I
महेश्वर का प्राचीन नाम महिष्मति था यह हैहय वंश की राजधानी था I
महेश्वर का रामायण और महाभारत में भी उल्लेख है I
महेश्वर को होल्कर वंश की महारानी अहिल्याबाई 17 वीं शताब्दी में बसाया था तथा इसे अपनी राजधानी बनाया था I
महेश्वर में देवी अहिल्या ने सुंदर किला और मनोहर घाट बनवाए I
मध्य प्रदेश सरकार ने महेश्वर को पवित्र नगर घोषित किया है I
महेश्वर साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है I
महेश्वर में सहस्त्रधारा जलप्रपात , अहिल्या संग्रहालय , राजराजेश्वर एवं विट्ठलेश्वर घाट , पेशवा घाट , महेश्वर का किला , महारानी अहिल्याबाई की मूर्ति , होल्कर परिवार की छतरियां , सेवाघाट प्रमुख दर्शनीय स्थल है I
ओरछा – निवाड़ी
ओरछा मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में बेतवा नदी के तट पर स्थित प्रमुख नगर है I
ओरछा बुंदेला शासकों की राजधानी रहा है।
ओरछा की स्थापना 16 वीं शताब्दी में बुंदेला शासक रूद्र प्रताप ने की थी I
ओरछा पर बुंदेला वंश की प्रसिद्ध छातरियां स्थित है I
रामराजा मंदिर ओरछा का सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण मंदिर है यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है I
ओरछा में जहांगीर महल , चतुर्भुज मंदिर , लक्ष्मी नारायण मंदिर , राम राजा मंदिर , शीशमहल , रायप्रवीण महल , फूल बाग , शहीद स्मारक आदि प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है I
जहांगीर ने अपने विश्राम के लिए ओरछा दुर्ग में एक सुंदर महल बनवाया था इसे जहांगीर महल कहा जाता है तथा इसी महल में जहांगीर ने शरण ली थी I
ओरछा बुंदेलों और मुगल शासक जहांगीर की दोस्ती की निशानी है I
सुंदर महल ओरछा में स्थित है जो पर्यटकों का आकर्षण केंद्र है इसे हिंदू राजकुमार धुरभजन और उनकी मुस्लिम प्रेयसी के प्रगाढ़ प्रेम की याद में बनवाया गया था I
ओरछा क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद की साधना स्थली भी यही रही थी I
हिंदी के महाकवि केशव का संबंध यहीं से था I
मैहर – सतना
मैहर मध्य प्रदेश के सतना जिले का एक छोटा सा नगर है यह प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है I
मैहर में शारदा मां का मंदिर कैमूर तथा विंध्यांचल पर्वत श्रेणियों में त्रिकूट पर्वत पर स्थित है I
मैहर माता का मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है यह नरसिंह पीठ के नाम से भी विख्यात है I
मैहर में प्रसिद्ध आल्हा ऊदल का अखाड़ा था I
मेहर को संगीत नगरी के नाम से भी जाना जाता है I
संगीतकार उस्ताद अलाउद्दीन खान की जन्म भूमि है I
मैहर में प्रतिवर्ष अलाउद्दीन खां समारोह मनाया जाता है I
मध्य प्रदेश सरकार ने इसे 2009 में पवित्र स्थल घोषित किया है I
मैहर में आल्हा उदल तालाब , नरसिंह पीठ तथा गोलामठ दर्शनीय स्थल है I
शिवपुरी
मध्य प्रदेश के शिवपुरी को प्रदेश की पहली पर्यटन नगरी होने का गौरव प्राप्त है I
शिवपुरी में माधव राष्ट्रीय उद्यान है इसकी घोषणा 1958 में हुई थी भव्य पिकनिक स्थलों और झील में नौका विहार के साथ-साथ वन्य पशु पक्षी दर्शन के पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र हैं I
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FAQ’S
Q.1 खजुराहो में कौन-कौन से मंदिर हैं ?
कंदरिया महादेव मंदिर , चौसठ योगिनी मंदिर , चित्रगुप्त मंदिर , लक्ष्मण मंदिर , मतंगेश्वर मंदिर , वराह मंदिर , विश्वनाथ मंदिर , देवी जगदंबा मंदिर , आदिनाथ मंदिर , पार्श्वनाथ मंदिर , घंटाई मंदिर , हनुमान मंदिर , बामन मंदिर , ब्रह्मा मंदिर , जवारी मंदिर , दूल्हा देव मंदिर , चतुर्भुज या जटकारी मंदिर , बीजामंडल मंदिर आदि मंदिर खजुराहो में है I
Q.2 खजुराहो में कुल कितने मंदिर हैं ?
खजुराहो में मंदिरों की संख्या 85 थी किंतु वर्तमान में 22 मंदिर बचे हैं I
Q.3 सांची का स्तूप किसने बनवाया था ?
सांची के स्तूप का निर्माण मौर्य शासक अशोक के द्वारा तीसरी शताब्दी में बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने के बाद करवाया गया I
Q.4 धूपगढ़ कहां स्थित है ?
धूपगढ़ मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में सतपुड़ा श्रेणी के महादेव पर्वत पर स्थित है तथा मध्य प्रदेश की की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है I
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1. मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान
2. मध्य प्रदेश के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं
3. मध्य प्रदेश के साहित्यकार
4. मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग का परिचय