CAG Upsc|CAG in hindi|Comptroller and Auditor General in hindi|नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक mppsc Unit – 10 hindi

पृष्ठभूमि ( Background )

1753 में इंडियन ऑडिट एवं अकाउंट डिपार्टमेंट की स्थापना हुई ।

1858 में महालेखाकार का कार्यालय स्थापित ( लार्ड केनिंग द्वारा ) किया गया था तथा इसी समय अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथों में लिया था ।

1860 में सर एडवर्ड ड्रमंड को पहले ऑडिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया ।

1866 में इस पद का नाम बदलकर नियंत्रक महालेखा परीक्षक कर दिया गया तथा 1884 में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के रूप में फिर से नामित किया गया ।

भारत सरकार अधिनियम, 1919 के तहत महालेखा परीक्षक को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया क्योंकि इस पद को वैधानिक दर्जा दिया गया था ।

भारत सरकार अधिनियम, 1935 द्वारा संघीय ढांचे में प्रांतीय लेखा परीक्षकों का प्रावधान किया गया तथा महालेखा परीक्षक के पद को और शक्ति दी गई ।

1936 :- महालेखापरीक्षक के उत्तरदायित्वों और लेखा परीक्षा कार्यों का प्रावधान किया ।

आजादी के बाद इस पद को संवैधानिक रूप प्रदान किया गया ।

1948 :- स्वतंत्र भारत में सीएजी की स्थापना।

1958 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के क्षेत्र अधिकार में जम्मू और कश्मीर को शामिल किया गया ।

1968 :- लेखा बोर्ड की स्थापना (एक अध्यक्ष व तीन सदस्य जो CAG द्वारा नियुक्त किए जाते ) की गई ।

1971 :- केंद्र सरकार ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक अधिनियम 1971 लागू किया , वर्तमान में नियंत्रक और महालेखापरीक्षक पर जो कानून लागू होता है ।

1971 के अधिनियम ने CAG को केंद्र और राज्य सरकारों के लिये लेखांकन और लेखा परीक्षा दोनों की ज़िम्मेदारी दी ।

1971 के अधिनियम में संशोधन करके 1976 में CAG को लेखांकन के कार्यों से मुक्त कर दिया गया ।

सामान्य परिचय ( General Information )

जानकारी ( Information ) :- संविधान का अनुच्छेद 148 (भाग 5 – अध्याय 5- अनुच्छेद 148 से 151)

प्रकृति ( Nature ) :- स्वतंत्र संवैधानिक निकाय / प्राधिकरण

प्रमुख कार्य ( Major Functions ) :- संघ व राज्यों के वित्तीय प्रशासन की निगरानी

स्थापना ( Establishment ) :- 1858

वर्तमान स्वरूप ( Current format ) :- 1948

मुख्यालय ( Headquarters ) :- नई दिल्ली

प्रथम प्रमुख ( First Chief ) :- एडवर्ड ड्रमंड (1860-1862)

प्रथम भारतीय ( First Indian ) :- वी नरहरि राव (1948 1954 )

वर्तमान ( Current ) :- गिरीश चंद्र मुर्मू (14वें CAG – 8अगस्त 2020 से अब तक )

नोट :- केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के पहले उपराज्यपाल थे।

नोट :- अब तक कोई महिला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पद पर नियुक्त नहीं हुई ।

नियंत्रक महालेखा परीक्षक को सार्वजनिक धन का संरक्षक कहा जाता है ।



डॉक्टर अंबेडकर ( Dr. Ambedkar ) :- नियंत्रक महालेखा परीक्षक भारतीय संविधान के तहत सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी होगा यह लोकतांत्रिक व्यवस्था में भारत सरकार के रक्षकों में से एक होगा इन रक्षकों में उच्चतम न्यायालय, निर्वाचन आयोग, संघ लोकसेवा आयोग शामिल है ।

सदस्य संख्या :-

CAG एक सदस्यीय संस्था है ।

कैग नियुक्ति :-

अनुच्छेद 148 के तहत भारत के राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति करते हैं ।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति के संदर्भ में राष्ट्रपति अधिपत्र / वारंट जारी करेंगे ।

नोट :- सुप्रीम कोर्ट / हाई कोर्ट के जज , राज्यपाल तथा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति वारंट जारी करते हैं ।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति के लिए कोई कॉलेजियम नहीं है ।

नोट :- कोई भी मंत्री संसद में कैग का प्रतिनिधित्व नहीं करता है ।

कैग की शपथ :-

CAG नियुक्ति के पश्चात कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को राष्ट्रपति के समक्ष शपथ ग्रहण करना पड़ता है।

CAG की शपथ का उल्लेख अनुसूची 3 में है ।

CAG को शपथ भारत के राष्ट्रपति दिलाते हैं I

CAG संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं ।

कैग का कार्यकाल :-

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्यकाल के बारे में लिखा है कि संसद निर्धारित करेगी और संसद ने जो कार्यकाल निर्धारित किया है वह 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु इनमें से जो पहले हो जाए तक होता है अर्थात सेवानिवृत्त आयु 65 वर्ष है ।

कैग का वेतन :-

CAG का वेतन तथा दूसरी सेवा शर्ते संसद द्वारा निर्धारित की जाती है, जो महालेखा परीक्षक अधिनियम 1971 में वर्णित है।

CAG के पद में रहते हुए उनके वेतन में कोई भी अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा ।

CAG को भारत भारत सरकार की संचित निधि से वेतन प्राप्त होता है यह संचित निधि पर भारित व्यय कहलाता है ।

नोट :- भारित व्यय ऐसे खर्चे को कहा जाता है जिस पर संसद बहस , विचार-विमर्श , डिबेट तो कर सकती है लेकिन जिस पर मतदान नहीं होता उसको भारित व्यय कहते हैं ।

चूंकि CAG का पद सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समतुल्य होता है। इसलिए वह 2,50,000 रुपए प्रतिमाह की दर से वेतन पाने का अधिकारी होता है। उसे सेवानिवृत्ति के उपरांत पेंशन भी प्राप्त होती है। दूसरे मामलों में उसकी सेवाशर्ते भारत सरकार के सचिव के समान होती हैं।

कैग का त्यागपत्र :-

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राष्ट्रपति के नाम किसी भी समय अपना त्यागपत्र भेज सकते है ।

कैग को पद से हटाना :-

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को अपने सेवाकाल के पूर्ण होने से पूर्व भी हटाया जा सकता है।

CAG को उसी विधि से हटाया जाएगा जिस विधि के तहत सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाया जाता है ।

नोट :- आर्टिकल 124 ( 4 ) में सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने की विधि का उल्लेख है अर्थात CAG का पद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के पद के समकक्ष है ।

नियंत्रक महालेखा परीक्षक को कदाचार अथवा कार्य करने की असमर्थता के आधार पर संसद के दोनों सदनों के समावेदन पर हटाया जा सकता है ।

संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत अर्थात दो-तिहाई बहुमत से उनकी अयोग्यता संबंधी प्रस्ताव पारित करने के बाद ही उसे राष्ट्रपति द्वारा कार्यकाल से पूर्व हटाया जा सकता है।

नोट :- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत अपना पद धारण नहीं करते हैं ।

पुनर्नियुक्ति :-

CAG की पुनः नियुक्ति के संदर्भ में संविधान मौन है ।

CAG रिटायर होने के बाद भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद नहीं लेगा ।

नोट :- टी.एन. चतुर्वेदी ( त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ) CAG के पद के बाद राज्यपाल थे क्योंकि राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति ,राज्यपाल , केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री का पद लाभ के पद के दायरे में नहीं आता है ।

नोट :- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ए के चंदा को सेवानिवृत्ति के बाद वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया गया।

महालेखा परीक्षक के कार्य एवं शक्ति :-

महालेखा परीक्षक के निम्नलिखित कार्य एवं शक्तियां होती हैं –

1950 से 1976 तक CAG भारत सरकार के लिए अकाउंटिंग और ऑडिटिंग दोनों कार्य करता था जो नेचुरल जस्टिस के खिलाफ है 1976 में दोनों कार्यों को अलग अलग करने की मांग उठी तो 1976 से CAG भारत सरकार के लिए केवल ऑडिटिंग का कार्य करता है तथा एकाउंटिंग का कार्य किसी और विभाग को दे दिया गया लेकिन राज्य सरकारों ने साफ मना कर दिया और कहा कि हमारा दोनों कार्य CAG करेगा अर्थात 1950 से लेकर अब तक राज्य सरकारों के लिए अकाउंटिंग और ऑडिटिंग दोनों कार्य CAG करता है ।


नोट :-

CAG लेखा के माध्यम से सरकारी आय-व्यय को नियंत्रित करके देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में प्रत्यक्ष भूमिका तो नहीं निभाता किंतु अपनी वार्षिक लेखा रिपोर्टों के माध्यम से इसपर पड़ने वाले प्रभावों पर बहस तथा आलोचनाओं के द्वारा सार्वजनिक धन की फिजूल खर्ची पर रोक लगाई जाती है।

राष्ट्रपति की अनुशंसा पर केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा खर्च की जाने वाली धनराशि की रूपरेखा निर्धारित करना।

कैग भारत की संचित निधी से और और प्रत्येक राज्य की संचित निधी से तथा विधानसभा युक्त प्रत्येक केंद्रशासित क्षेत्र की सचित निधी से हुए सभी व्ययों से संबंधित लेखा की लेखा परीक्षा करता है ।

वह भारत की आकस्मिक निधी और लोकनिधी से हुए व्यय की लेखा परीक्षा करता है ।

वह केंद्र सरकार के किसी विभाग द्वारा और राज्य सरकारों द्वारा रखे गए सब्सिडरी लेखों सभी तरह के व्यापार, तुलन पत्रों आदि की लेखा परीक्षा करता है।

CAG राष्ट्रपति को तीन लेखा परीक्षा प्रतिवेदन प्रस्तुत करता है –

1 विनियोग लेखाओ पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट ।
2 वित्त लेखाओ पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट ।
3 सरकारी उपक्रमों पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट ।

CAG केंद्र सरकार के लेखों से संबंधित रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है जो उसे संसद के पटल पर रखते हैं ।

CAG राज्य सरकार के लेखों से संबंधित रिपोर्ट राज्यपाल को देता है जो उसे विधान मंडल के पटल पर रखते हैं ।

राष्ट्रपति इन रिपोर्टों को संसद के दोनों सदनों के सभापटल पर रखता है इसके उपरांत लोक लेखा समिति CAG द्वारा रखी गई रिपोर्ट का की जांच करती है और इसके निष्कर्षों से संसद को अवगत कराती है ।

नोट :- लोक लेखा समिति को जब रिपोर्ट के टेक्निकल बातें समझ नहीं आती तो यह CAG को अपने पास बुला सकते हैं इस वजह से CAG और लोक लेखा समिति के बीच अच्छे संबंध होते हैं इसलिए इन्हें मित्र , दार्शनिक और मार्गदर्शक ( फ्रेंड , फिलॉस्फर एंड गाइड ) कहा जाता है ।

संसद द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार केंद्र एवं राज्य सरकारों तथा दूसरे प्राधिकरणों द्वारा खर्च की जाने वाली धनराशि के लेखा परीक्षक संबंधी शक्तियों तथा कर्तव्यों का निर्वाह करना ।

संविधान अध्ययन 1 के खंड 12 में यह भी उपबंध है कि किसी भी टैक्स को वैध तथा उचित ठहराने संबंधी परीक्षण भी महालेखा परीक्षक ही करेगा।

भारत के प्रत्येक राज्य एवं प्रत्येक संघ राज्य क्षेत्र की संचित निधि से किए गए सभी व्यय विधि के अधीन ही हुए हैं यह इस बात की समपरीक्षा करता है ।


लेखा विभाग आय-व्यय में आई असमानता अथवा गड़बड़ियों की सावधानी पूर्वक जांच करता है।

भारत व राज्यों की संचित निधि, आकस्मिक निधि और सार्वजनिक खातों का परीक्षण ।

सरकारी कंपनी व केंद्रीय/राज्य द्वारा वित्त पोषित संस्थान का परीक्षण ।

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के किसी भी विभाग के सभी खातों का ऑडिट करता है ।

राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा अनुशंसित किये जाने पर किसी अन्य प्राधिकरण के खातों का ऑडिट करता है, जैसे कोई स्थानीय निकाय ।

संसद की लोक लेखा समिति के सलाहकार के रूप में भी कार्य करता है ।

संसद में 1971 में महालेखा परीक्षक अधिनियम बनाया गया इस अधिनियम को 1976 में केंद्र सरकार के लेखा परीक्षा से लेखा को अलग करने हेतु संशोधन किया गया ।

CAG राष्ट्रपति को इस संबंध में सलाह देता है कि केंद्र और राज्यों के लेखांकन इस प्रारूप में रखे जाने चाहिए ।

लेखा का उद्देश्य होता है ‘आर्थिक आलोचना’ प्रस्तुत करना, जिसके द्वारा लेनदेन में हुई गड़बड़ियों को उजागर किया जाता है तथा उसको सुधारा जाता है। इस तरह एक प्रकार से लेखा संबंधी गड़बड़ियों की पुनरावृत्ति पर रोक लगाने का भी कार्य करता है। हालांकि इन आधारों पर लेखा परीक्षा को पोस्टमार्टम की संज्ञा दी जा सकती है। किंतु अर्थ संबंधी प्रशासन में लेखा विभाग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि वह किसी बदमाश घोड़े को अपंग करने की बजाय उसे एक कटघरे में बंद करके सुधारने का प्रयास करता है।

CAG के कार्यालय के एक अंग के रूप में लेखा परीक्षा बोर्ड की स्थापना की गई है इसके एक अध्यक्ष तथा 2 सदस्य होते हैं जो कि CAG द्वारा नियुक्त किए जाते हैं ।

CAG सिविल न्यायालय की शक्तियों को धारण करता है इसके अंतर्गत किसी भी विभाग के लेखक प्रपत्र की जांच कर सकता है तथा किसी भी विभाग से दस्तावेज मंगवा सकता है ।

दामोदर घाटी निगम, तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग , एयर इंडिया इंटरनेशनल, इंडियन एयरलाइंस आदि का प्रत्यक्ष तौर पर सीएजी द्वारा लेखा परीक्षा की जाती है ।

भारतीय जीवन बीमा निगम भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय स्टेट बैंक भारतीय खाद्य निगम आदि का निजी लेखा परीक्षा की जाती है इसमें सीएजी की कोई भूमिका भूमिका नहीं होती है वे अपना वार्षिक प्रतिवेदन तथा लेखा सीधे संसद को प्रस्तुत करते हैं ।

CAG संबंधी महत्वपूर्ण अनुच्छेद :-

संविधान में CAG का प्रावधान आर्टिकल 148 से आर्टिकल 151 में है –

अनुच्छेद 148 (1) :- CAG राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है ।
CAG को राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के तरीके के समान है ।

अनुच्छेद 148 (2) :- CAG संविधान की तीसरी अनुसूची के प्रारूप के अनुसार राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेगा ।

अनुच्छेद 148 (3) :- CAG का वेतन और अन्य सेवा शर्तें नियुक्ति के बाद अलाभकारी परिवर्तन नहीं होगा ।

अनुच्छेद 148 (4) :- एक बार CAG के पद से सेवानिवृत्त होने / इस्तीफा देने के बाद वह भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय का पदभार नहीं ले सकता तथा किसी भी पद का पात्र नहीं होगा ।

अनुच्छेद 148 (5) :- लेखा विभाग में सेवारत अधिकारियों की सेवा शर्तें राष्ट्रपति द्वारा CAG परामर्श के बाद ही निर्धारित की जाती हैं ।

अनुच्छेद 148 (6) :- CAG के कार्यालय का प्रशासनिक व्यय, वेतन , भत्ते एवं पेंशन भारत की संचित निधि पर भारित होंगे ।

अनुच्छेद 149 :- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के कार्य और शक्तियों से संबंधित है ।

अनुच्छेद 150 :- संघ और राज्यों को खातों का विवरण राष्ट्रपति के अनुसार ( CAG की सलाह ) पर रखना होगा।

अनुच्छेद 151 :- संघ की खातों से संबंधित CAG की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी जो संसद के प्रत्येक सदन के पटल पर रखी जाएगी ।

अनुच्छेद 279 :- शुद्ध आय की गणना CAG द्वारा प्रमाणित की जाती है जिसका प्रमाण पत्र अंतिम माना जाता है ।

तीसरी अनुसूची कैग द्वारा पद ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का प्रावधान करती है ।

छठी अनुसूची के अनुसार जिला परिषद क्षेत्रीय परिषद के खातों को राष्ट्रपति और कैग द्वारा अनुमोदित प्रारूप के अनुसार रखा जाना चाहिए ।

लोक लेखा समिति :-

संसद में वित्तीय समिति के अंतर्गत है लोक लेखा समिति होती है जिसमें 15 लोकसभा के सदस्य एवं 7 राज्यसभा के सदस्य कुल 22 सदस्य होते हैं जो कि CAG द्वारा रखी गई रिपोर्ट का की जांच करते हैं ।

लोक लेखा समिति को जब रिपोर्ट के टेक्निकल बातें समझ नहीं आती तो यह CAG को अपने पास बुला सकते हैं इस वजह से CAG और लोक लेखा समिति के बीच अच्छे संबंध होते हैं इसलिए इन्हें मित्र , दार्शनिक और मार्गदर्शक ( फ्रेंड , फिलॉस्फर एंड गाइड ) कहा जाता है ।

लोक लेखा समिति को प्राक्कलन समिति की जुड़वा बहन के नाम से जाना जाता है इसके सदस्यों का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है इस समिति का अध्यक्ष विपक्ष के सदस्य को नियुक्त किया जाता है ।

लेखा महानियंत्रक ( CGA ) :-

CGA पूरा नाम – Controlar General of the Accounts है ।

 इसकी स्थापना 1976 में हुई थी यह भारत सरकार के लेखा ( Accounts ) का कार्य करता है या वित्त मंत्रालय कि वे विभाग के अंतर्गत कार्य करता है इस पद का उल्लेख संविधान में नहीं है ।

नोट :- राज्यों के लेखा ( Accounts ) का कार्य कैग ही करता है

 यह CAG को तकनीकी सहायता प्रदान करता है ।

       वर्तमान लेखा महानियंत्रक (CGA of India) –  दीपक दास ( 25 वे ) (Agust 2021)

       प्रथम लेखा महानियंत्रक (First CGA of India) – श्री सी.एस. स्वामीनाथन 

       प्रथम महिला लेखा महानियंत्रक (CGA) – श्रीमति गिरिजा ईश्वर 

CAG एवं CGA मे अंतर :-

CAG का पूरा नाम – Comptroller and Auditor Generel of India  जबकि  CGA  का  पूरा  नाम – “Controller General of Accounts” है।

CAG एक संवैधानिक निकाय है जबकि CGA एक  संवैधानिक या वैधानिक निकाय नहीं है।

CAG एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है जबकि CGA 
वित्त मंत्रालय के अंदर आती है।

CAG क्षेत्र संघीय, प्रांतीय और स्थानीय स्तरों के खातों और उनसे संबंधित गतिविधियों का लेखा जोखा रखता है जबकि CGA भारत सरकार के लेखा  मामलों के प्रमुख सलाहकार होते हैं।

नियंत्रक महालेखा परीक्षक की सूची :-

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