भारत निर्वाचन आयोग pdf|Bharat Nirvachan aayog mppsc Unit – 10 hindi|भारत निर्वाचन आयोग|चुनाव आयोग

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परिचय व पृष्ठभूमि ( Introduction and Background )

भारत के संविधान निर्माताओं ने देश में चुनाव कराए जाने के लिए एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण की व्यवस्था की है जिसे भारतीय निर्वाचन आयोग /चुनाव आयोग के नाम से जाना जाता है।

भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से 329 ने निर्वाचन से संबंधित उपबंध दिए गए हैं ।

सामान्य जानकारी ( General Information )

प्रकृति ( Nature ) :- संवैधानिक, स्वायत्त व स्वतंत्र आयोग/ निकाय है ।

वर्णन ( Description ) :- भारतीय संविधान के भाग 15 के अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग का वर्णन किया गया है ।

स्थापना : – 25 जनवरी 1950

मुख्यालय :- नई दिल्ली

प्रथम मुख्य निर्वाचन आयुक्त :- सुकुमार सेन

नोट :- डॉ नागेंद्र सिंह जो कि निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष थे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के जज भी रह चुके हैं

वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त :- श्री राजीव कुमार ( December 2023 )

अन्य निर्वाचन आयुक्त :- श्री अनूप चंद्र पांडे & श्री अरुण गोयल ( December 2023 )

प्रथम / एकमात्र महिला मुख्य निर्वाचन आयुक्त :- बी. एस. रामादेवी (1990)

नोट :- सुप्रीम कोर्ट में आज तक कोई भी महिला मुख्य न्यायाधीश नहीं बनी है ।

प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष :- एस वाई कुरैश

निर्वाचन आयोग का चेयरमैन मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है ।

चुनाव आयोग ने अपनी स्वर्ण जयंती 2001 में मनाया ।


लोकसभा तथा विधानसभा में किसी चुनावी प्रत्याशी द्वारा कुल वैध मतों का 1/6 भाग मत नहीं प्राप्त करने पर जमानत राशि जप्त कर दी जाती है ।

प्रथम चुनाव ( First election ) :-1951-52

नोट :- 1951-52 में हुए चुनावों में कुल मतदाताओं की संख्या के 45.7% मतदाताओं ने वोट डाले थे जो कि 1991 में बढ़कर 63.53% हो गया। अब निरंतर ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में पड़ने वाले वोटों का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है, इससे यह पता चलता है कि भारत के लोगों में वोट डालने के प्रति जागरूकता बढ़ती जा रही है।

प्रमुख कार्य :- राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति ,लोकसभा , राज्यसभा , विधानसभा , विधान परिषद का निर्वाचन कराता है ।

नोट :- नगर पालिका एवं ग्राम पंचायत के चुनाव भारतीय निर्वाचन आयोग नहीं कराता है इसके चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराता है।

वेतन :- मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव का वेतन एवं भत्ते (2,50,000 रुपए प्रतिमाह ) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के बराबर प्राप्त होते हैं यह भारत की संचित निधि से दिया जाता है।

सभी निर्वाचन आयुक्तों के वेतन भत्ते समान होते हैं ।

निर्वाचन आयोग की संरचना ( Election Commission Structure )

1950 से 1989 तक चुनाव अयोग एक सदस्य निकाय था जिसमें केवल मुख्य निर्वाचन अधिकारी होता था ।

1989 के बाद राष्ट्रपति ने दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त किया जिसमें 3 निर्वाचन आयुक्त थे ।

1990 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर दो निर्वाचन आयुक्त के पद को समाप्त कर दिया गया और स्थिति एक बार पहले की तरह हो गई ।

1993 में दो निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त किया गया इसके बाद बहुसदस्य संस्था के तौर पर काम कर रहा है ।

नोट :- अक्तूबर 1993 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त श्री टी. एन. शेषन ने अन्य दो चुनाव आयुक्तों को समान अधिकार देने से इंकार कर दिया और फिर वे दोनों चुनाव आयुक्त तब तक बिना किसी काम के बैठे रहे जब तक कि 1995 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश जारी नहीं कर दिया कि तीनों चुनाव आयुक्त समान हैं , उन्हें एक टीम के रूप में कार्य करना होगा ।

निर्वाचन आयोग के सभी कार्य सर्वसम्मति से किए जाएंगे लेकिन यदि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त किसी मामले में एकमत नहीं होते तो ऐसे मामलों पर बहुमत की राय के अनुसार निर्णय लिया जाएगा ।


नोट :- मुख्य – निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त का स्थान बराबर होता है ।

वर्तमान में चुनाव आयोग 1 + 2 बहु-सदस्य है इसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त तथा दो अन्य चुनाव आयुक्त होते हैं यह गोस्वामी समिति की अनुशंसा पर बनाया गया है जिसके अध्यक्ष दिनेश गोस्वामी थे ।


नोट :- Art 324 में यह प्रावधान किया गया है की राष्ट्रपति और – राज्यपाल का यह दायित्व है की चुनाव करवाने हेतु आयोग को प्रशासनिक तंत्र उपलब्ध करवाए।

नोट :- निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कोई भी कॉलेजियम नहीं है लालकृष्ण आडवाणी जी ने कॉलेजियम के लिए सुझाव दिया था ।

योग्यताएं

निर्वाचन आयुक्तों के लिए कोई भी योग्यता संविधान में उल्लेखित नहीं है IAS अधिकारियों को इन पदों में नियुक्त किया जाता है ।

नियुक्ति ( Appointment )

भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति मंत्री परिषद की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है ।

निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल तथा सेवा शर्तें संसद द्वारा निर्धारित की जाती हैं। उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें अपने पद से हटाया नहीं जा सकता। तथा नियुक्ति के बाद अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

नोट – निर्वाचन आयुक्त राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण नहीं करते ।

राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की सलाह पर प्रादेशिक आयुक्त नियुक्त करता है ।

पदावधि

निर्वाचन आयुक्तों की पदावधि का उल्लेख संविधान में नहीं है , मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 62 वर्ष किया इनमें से जो पहले पूर्ण कर लें सेवा शर्तों व पदावधि का निर्धारण निर्वाचन आयुक्त अधिनियम, 1991 द्वारा निर्धारित होता है ।

नोट :- सुकुमार सेन (March 1950- Dec. 1958 ) तथा के. सुंदरम ( कल्याण वैद्यनाथन कुट्टूर सुंदरम ) (Dec 1958 – sep. 1967 ) का कार्यकाल लगभग 9 वर्ष था

त्यागपत्र ( Resignation )


राष्ट्रपति

हटाने की प्रक्रिया ( Removal process )

अनुच्छेद 324 के अनुसार मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसी विधि से हटाया जाएगा जिस विधि से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ( अनुच्छेद 124 (4) के तहत ) को हटाया जाता है

आधार ( Base ) :- अक्षमता या साबित कदाचार |

अनुच्छेद 324 में यह भी उल्लेख है कि अन्य निर्वाचन आयुक्तों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जाएगा ।

नोट :- वर्ष 2009 में निर्वाचन आयुक्त नवीन चावला को हटाने के लिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन गोपालस्वामी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उन पर पक्षपात का आरोप लगाया तथा पद से हटाने के लिए सिफारिश की गई लेकिन नहीं हटाया गया।

अभी तक किसी भी चुनाव आयुक्त और मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पद से हटाया नहीं गया है ।

मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए संविधान में महाभियोग शब्द का उपयोग नहीं किया गया है महाभियोग शब्द का प्रयोग केवल राष्ट्रपति को हटाने के लिए किया जाता है ।

निर्वाचन आयोग के कार्य

चुनाव आयोग को भारत में होने वाले चुनावों से संबंधित निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य एवं शक्तियां प्रदान की गई हैं


चुनाव कराना

अनुच्छेद 324 के तहत राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , राज्यसभा , लोकसभा , विधानसभा , विधानपरिषद के चुनाव करवाता है ।

चुनाव के संदर्भ में अधिसूचना जारी करता है ।

आदर्श आचार संहिता को लागू करवाना ।

मतदाता सूची तैयार करना ।

चुनाव संबंधी विवादों की प्रारंभिक सुनवाई करना आयोग का काम है लेकिन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधी विवादों में आयोग की भूमिका नहीं है ।

परिसीमन करना


राजनीतिक दलों को मान्यता देना

अयोग्यता का निर्धारण आर्टिकल 102 लाभ का पद , दिवालिया , मानसिक विकृति , नागरिक नहीं राष्ट्रपति चुनाव आयोग के परामर्श पर सदस्यता समाप्त किया जाएगा दलबदल आरोप में संबंधित सदस्य सदन के अध्यक्ष द्वारा सदस्यता समाप्त किया जाएगा ।

निर्वाचन की तिथि और समय सारणी निर्धारित करना ।

आम चुनाव उपचुनाव कराने के लिए समय-समय पर चुनाव कार्यक्रम तय करना ।

राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना उनसे संबंधित विवादों को निपटाने के साथ ही उन्हें चुनाव चिन्ह आवंटित करना करता है ।

सभी राजनीतिक दलों के लिए प्रति उम्मीदवार चुनाव अभियान खर्च की सीमा निर्धारित करता है और उसकी निगरानी भी करता है ।

निर्वाचन के समय दलों व उम्मीदवारों के लिए आदर्श आचार संहिता निर्मित करना ।

निर्वाचन के समय राजनीतिक दलों की नीतियों के प्रचार के लिए रेडियो और टीवी कार्यक्रम सूची निर्मित करना ।

संसद सदस्यों की निरहर्ता से संबंधित मामलों पर राष्ट्रपति को सलाह देना ।

विधानमंडल के सदस्यों की निरहर्ता से संबंधित मामलों पर राज्यपाल को परामर्श देना ।

रैगिंग, मतदान केंद्र लूटना, हिंसा व अन्य अनियमितताओं के आधार पर निर्वाचन रद्द करना ।

राष्ट्रपति को सलाह देना कि राष्ट्रपति शासन वाले राज्य में 1 वर्ष समाप्त होने के पश्चात निर्वाचन कराए जाएं या नहीं ।

लोकसभा, राज्यसभा , विधानसभा, राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के होने वाले चुनावों के लिए मतदाता सूचियां तैयार करना, उनमें फेरबदल करना, संशोधन करना तथा नए नामों को सम्मिलित करना।

भारत में होने वाले चुनावों की प्रक्रिया तथा उससे संबंधित मशीनरी का निरीक्षण करना।

चुनाव की घोषणा तथा नामांकन पत्रों के भरे जाने से संबंधित कार्यक्रम निर्धारित करना ।

चुनाव से पूर्व विभिन्न राज्यों में चुनाव अधिकारियों तथा निर्वाचन कार्यालयों की नियुक्ति करना।

चुनाव से संबंधित विवादों को निबटाने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करना।



मतदाता केन्द्रों पर सामूहिक रूप से मतपेटियों के लूटे जाने अथवा दूसरी गड़बड़ियों के होने पर वहां पर चुनाव रद्द करने की घोषणा करना।

राजनीतिक पार्टियों को चुनाव चिह्न वितरित करने अथवा उससे संबंधित विवादों को निबटाने के लिए अदालत का कार्य करना।

किसी विशेष स्थिति में राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को चुनाव के लिए प्रत्याशियों की योग्यता से संबंधित सलाह देना।

इसके अलावा चुनाव आयोग चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के लिए एक है।

परिसीमन

प्रत्येक 10 वर्षों में परिसीमन किया जाना चाहिए ( अनुच्छेद 82 )

परिसीमन के सन्दर्भ में संसद कानून बनाती है ( अनुच्छेद 327)


अब तक चार बार परिसीमन आयोग का गठन किया गया है ।

पहली बार परिसीमन आयोग का गठन 1952 मे किया गया तथा चौथी या अंतिम बार 2002 को जस्टिस कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में चौथे परिसीमन आयोग का गठन किया गया था ।

परिसीमन आयोग में देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त , निर्वाचन आयुक्त , सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों के निर्वाचन आयुक्त इस आयोग के सदस्य होते हैं ।

सुप्रीम कोर्ट के जज या मुख्य निर्वाचन आयुक्त इसके अध्यक्ष बन सकते है जब सुप्रीम कोर्ट के जज अध्यक्ष होते है तब मुख्य निर्वाचन आयुक्त इसके पदेन सदस्य होते है ।

वर्तमान में 1971 की जनगणना के आधार पर सीटों का आवंटन है तथा 2001 की जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण किया गया है ।

भारत के 84 संविधान संशोधन अधिनियम 2001 के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 82 और 170(3) की शर्तों में संशोधन किया गया है जिसके अनुसार देश में लोकसभा एवं विधानसभा की सीटों की संख्या में वर्ष 2026 तक कोई वृद्धि अथवा कमी नहीं की जाएगी

निर्वाचन आयोग संबंधित समितियां

तरकुंडे समिति का गठन 1974 में हुआ था जिसके अध्यक्ष बी.एम. तरकुंडे थे जिसने अपनी रिपोर्ट 1975 में सौंपी थी जिसमें 2 अनुशंसाए प्रमुख थी –
A )पहली बार चुनाव आयोग को बहुत सदस्य संस्था के रूप में बनाने की अनुशंसा ।
B ) चुनाव के लिए मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने की सिफारिश की गई थी ।

नोट :- 61 वा संविधान संशोधन 1988 द्वारा मतदाता की उम्र 21 वर्ष से 18 कर दी गई । ( अनुच्छेद 326 )

इंद्रजीत समिति का मुख्य उद्देश्य चुनाव खर्चे हेतु सार्वजनिक कोष की व्यवस्था करना ।

श्याम लाल शकधर समिति की प्रमुख सिफारिश थी कि मतदाता का परिचय पत्र हो ।

संथानम समिति की प्रमुख सिफारिश थी कि न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य हो ।

दिनेश गोस्वामी समिति की सिफारिश थी कि EVM का प्रयोग आरक्षण के लिए चक्रण सर पद्धति हो ।

टी एन सेशन समिति की प्रमुख सिफारिश थी कि एक से अधिक क्षेत्रों से चुनाव लड़ना मना हो ।

मतदाता दिवस

वर्ष 2011 में 25 जनवरी को भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना (25 जनवरी 1950) दिवस के अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस का शुभारम्भ किया था।

मतदाताओं द्वारा चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने तथा इसके लिए मतदाताओं में जागरूकता बढ़ाने को लिए यह दिवस आयोजित किया जाता है।

11 वे मतदाता दिवस 2021 की थीम:- ” सभी मतदाता बने सशक्त व जागरूक ” है ।

मतदाता का फोटो युक्त पहचान पत्र

निर्वाचन आयोग द्वारा 1993 के चुनाव में जाली मतदान और कुछ मतदाताओं पर नियंत्रण के लिए मतदाता के फोटो युक्त पहचान पत्र का उपयोग किया गया ।

पंजीकृत मतदाताओं को फोटो युक्त पहचान पत्र जारी करने का आधार मतदाता सूची है ।

नवंबर की 1 तारीख पात्रता तिथि मानी जाती है इस तिथि को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले या इससे अधिक आयु का प्रत्येक भारतीय नागरिक मतदाता सूची में शामिल होने का पात्र होता है ।

EVM ( Electronic voting machine )

EVM को दो यूनिटों से तैयार किया गया है कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट जो कि 5 मीटर लंबे तार से जुड़े होते हैं ईवीएम की कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है जबकि वैलेट यूनिट को मतदाताओं द्वारा मत डालने के लिए वोटिंग कंपार्टमेंट के भीतर रखा जाता है ।

कंट्रोल यूनिट अपनी मेमोरी में परिणाम को तब तक स्टोर कर सकता है जब तक कि डाटा को हटा या क्‍लीयर न कर दिया जाए।

EVM का सर्वप्रथम प्रयोग 1982 में केरल के पारुल विधानसभा के 50 बूथ मे किया गया अर्थात ईवीएम का प्रयोग करने वाला प्रथम राज्य केरल है

वर्ष 1998 में मध्यप्रदेश के पांच , राजस्थान के पांच एवं दिल्ली के छह विधानसभाओं के चुनाव में बड़े पैमाने पर EVM का प्रयोग किया गया ।

वर्ष 1999 में EVM का प्रयोग करके पूरा चुनाव कराने वाला प्रथम राज्य गोवा बना

2004 के आम चुनाव में देश के सभी मतदान केंद्रों पर EVM के इस्तेमाल के साथ भारत ई-लोकतंत्र में परिवर्तित हो गया।

EVM का प्रयोग करके सर्वप्रथम 2004 में संपूर्ण आम चुनाव कराए गए ।

वर्ष 2009 से आम चुनाव एवं सभी विधानसभाओं के चुनाव में EVM का प्रयोग होने लगा ।

ईवीएम के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। यह एक साधारण बैटरी पर चलती है।

इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बैंगलोर) तथा इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (हैदराबाद) के द्वारा ईवीएम का निर्माण किया जाता है

चुनाव आयोग द्वारा उपयोग की जा रही  अधिकतम 2,000 मत दर्ज कर सकती है।

VVPAT:- Voter Verifiable Paper Audit Trail

VVPAT , EVM जुड़ी एक स्वतंत्र प्रणाली है जब कोई मतदाता द्वारा मत डाला जाता है, तो अभ्यर्थी के EVM नाम, क्रम संख्‍या और प्रतीक वाली एक पर्ची मुद्रित होती है और 7 सेकंड के लिए एक पारदर्शी खिड़की के माध्यम से दिखाई देती है। उसके बाद, यह मुद्रित पर्ची स्वचालित रूप से कट जाती है और VVPAT के सीलबंद ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है।

इसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की स्वतंत्र पुष्टि है ।

यह व्यवस्था मतदाता को इस बात की पुष्टि करने की अनुमति देती है कि उसकी इच्छानुसार मत पड़ा है या नहीं। इसे वोट बदलने या वोटों को नष्ट करने से रोकने के अतिरिक्त उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

भारत सरकार ने 14 अगस्त, 2013 की एक अधिसूचना के जरिए निर्वाचन प्रक्रिया संचालन अधिनियम 1961 को संशोधित किया। इससे निर्वाचन आयोग को EVM के साथ VVPAT के इस्तेमाल का अधिकार मिला।

उच्चतम न्यायालय ने सुब्रह्मण्यम स्वामी बनाम भारत निर्वाचन आयोग मामले EVM को VVPAT से जोड़ने का निर्देश दिया।

सितंबर, 2013 में नगालैंड के त्वेनसांग में नोकसेन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में पहली बार EVM के साथ VVPAT का प्रयोग किया गया।

NOTA

नोटा विकल्प का मुख्य उद्देश्य ऐसे मतदाताओं की सहायता करना है जो किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते हैं ।

भारत निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय के 27 सितम्बर 2013 के आदेश का अनुसरण करते हुए 11 अक्टूबर 2013 को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में दिखाए गए बैलेट पेपरों में तथा अन्य मैलेट पेपरों में नोटा- उपयुक्त में से कोई नही विकल्प लागू किया गया था।

भारत निर्वाचन आयोग ने 16 सितम्बर, 2015 को नोटा के लिए प्रतीक जारी किया ।

नोटा (NOTA :- None of the Above) को भारतीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) अहमदाबाद में डिजाइन किया है।

भारत में वर्ष 2013 में सर्वप्रथम NOTA छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान मध्यप्रदेश तथा दिल्ली के विधानसभा चुनावों में प्रयोग किया गया था।

विश्व के 13 देशों में नोटा का प्रचलन में है।

आदर्श आचार संहिता ( Model Code of conduct )

आचार संहिता नियम और दिशानिर्देश का एक सेट है। इसके माध्यम से यह तय किया जाता है कि चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक पार्टियों को किन गतिविधियों से परहेज करना चाहिए। इसमें भाषण देने से लेकर मतदान वाले दिन, मतदान केंद्र, पोर्टफोलियो, चुनाव घोषणा पत्र, जुलूस और रैली से संबंधित नियम होते हैं। इसका मकसद स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव आयोजित कराना होता है।

जिस दिन चुनाव के शेड्यूल की घोषणा होती है, उसी दिन से आचार संहिता लागू हो जाती है। जब तक चुनाव का रिजल्ट नहीं आ जाता, तब तक आचार संहिता लागू रहती है।

पहली बार इसका इस्तेमाल 1960 में केरल के विधानसभा चुनावों में किया गया। नियमों का एक छोटा सा सेट तैयार करके पार्टियों को निर्देश दिया गया था। उनको बताया गया था कि चुनाव की घोषणा होने के बाद क्या करें और क्या न करें।

उसके बाद 1962 में लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में भी इन नियमों को बांटा गया। राज्य सरकारों से आग्रह किया गया कि वे पार्टियों के बीच आचार संहिता को स्वीकार्य बनाए।

नोट :- इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण ( 1971 के रायबरेली ) के चुनाव मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1975 में इंदिरा गांधी को आदर्श आचार संहिता का दोषी पाते हुई है उनके चुनाव को रद्द घोषित कर दिया यही निर्णय बाद में आपातकाल का कारण बने ।


किसी भी चुनाव क्षेत्र में प्रचार अभियान मतदान समाप्त होने के समय से 48 घंटे पूर्व बंद हो जाता है ।

निगम मत सर्वेक्षण (एक्जिट पोल)

इस पद्धति में चुनाव के तुरंत बाद चुनाव परिणाम से पहले यह पता लगाने के लिए कि मतदाताओं ने किस प्रत्याशी या दल के पक्ष में अपने मताधिकार का प्रयोग किया है विभिन्न सर्वे एजेंसियों द्वारा सर्वे किया जाता है ।

राष्ट्रीय दलों के रूप मान्यता (Recognition as National Parties)

वर्तमान में किसी दल को राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित अर्हताएं पूरी करनी होगी ।

( a ) लोकसभा चुनाव अथवा राज्य विधानसभा के चुनाव में किन्ही चार अथवा अधिक राज्यों में कुल डाले गए वैध मतों का 6% प्राप्त करना जरूरी होगा ,

( b ) इसके अलावा इसे किसी एक राज्य अथवा राज्यों से विधानसभा की कम से कम 4 सीटें जितनी जितनी होगी , अथवा

( c ) लोकसभा में 2% सीटें हैं और यह कम से कम तीन विभिन्न राज्यों में हासिल की गई हो ।

वर्तमान में राष्ट्रीय राजनैतिक दल :- 8

राजनीतिक दल स्थापना चुनाव चिन्ह

1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी 1885 हाथ का पंजा

II. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 1925 हसिया और बाली

III. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 1964 हसिया , हथोड़ा
(मार्क्सवादी) एवं तारा


IV. भारतीय जनता पार्टी 1980 कमल

V. बहुजन समाज पार्टी 1984 हाथी ( असम को

छोड़कर )

VI. तृणमूल पार्टी 1998 जोड़ा फूल

VII. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी 1999 घड़ी

VIII. नेशनल पीपुल्स पार्टी 2013 किताब

नोट :- भारत के चुनाव आयोग द्वारा भारतीय साम्यवादी दल ( मार्क्सवादी ) की राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता पहले नकारी गई फिर बाद में मान्यता दी गई ।

अन्य कार्यक्रम ( Other programs )

SVEEP (Systematic Voters’ Education and Electoral Participation )

सुव्‍यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता कार्यक्रम, स्‍वीप के रूप में अधिक जाना जाता है। यह भारत में मतदाता शिक्षा, मतदाता जागरूकता का प्रचार-प्रसार करने एवं मतदाता की जानकारी बढ़ाने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम वर्ष 2009 से भारत के निर्वाचकों को सजग करने और उन्‍हें निर्वाचन प्रक्रिया से संबंधित बुनियादी जानकारी से लैस करने की दिशा में कार्य कर रहा हैं। स्‍वीप का प्रमुख लक्ष्‍य निर्वाचनों के दौरान सभी पात्र नागरिकों को मत देने और जागरूक निर्णय लेने के लिए प्रोत्‍साहित करके भारत में सही मायनों में सहभागी लोकतंत्र का निर्माण करना है।

निर्वाचन आयोग द्वारा जारी मोबाइल ऐप

वोटर टर्न आउट ऐप

भारत निर्वाचन आयोग ने पहली बार मतदान के दौरान अनुमानित मतदाता टर्नआउट के बारे में सभी को ताजा जानकारी देने के लिए इस ऐप को विकसित किया है I

सी – विजिल ऐप

यह ऐप नागरिकों के लिए निर्वाचनों के दौरान आदर्श आचार संहिता और व्‍यय के उल्‍लंघन की रिपोर्ट करने हेतु डेवलप किया गया है। ‘सी-विजिल’ का अभिप्राय नागरिक सतर्कता से है और इसमें नागरिकों द्वारा निर्वाचनों के स्‍वतन्‍त्र एवं निष्‍पक्ष संचालन के लिए परस्‍पर सक्रिय और जिम्‍मेदार भूमिका निभाने पर बल दिया गया है।  इससे फॉस्‍ट-ट्रेक शिकायत प्राप्ति एवं निवारण प्रणाली का सृजन होने की आशा है।
इसके लिए यह आवश्‍यक है कि आदर्श आचार संहिता का उल्‍लंघन करने वाली गतिविधियों का संक्षेप में विवरण करते हुए एक फोटो खींचें या 2 मिनट का एक वीडियो बनाए तथा शिकायत दर्ज करने से पहले उसका संक्षेप में उल्‍लेख करें।

सुविधा कैंडिडेट ऐप

भारत निर्वाचन आयोग निर्वाचन अवधि के दौरान नाम-निर्देशन दायर करने , नामांकन की जानकारी प्राप्त करने और अनुमति प्राप्‍त करने के लिए अभ्‍यर्थियों की प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है।

पी डब्ल्यू डी ऐप

दिव्‍यांगजनों को सुविधा प्रदान करने के लिए इस ऐप को विकसित किया है। 

दृष्टिहीन व्‍यक्तियों के लिए वॉयस एक्‍सेस और सलेक्‍ट स्‍पीक विशेषता भी उपलब्‍ध करवाई गई है ।

निर्वाचन प्रक्रिया में दिव्‍यांगजनों को शामिल करना आवश्‍यक है ताकि उनको यह लगे कि उनके साथ समान व्‍यवहार किया गया है। मतदान हेतु समानता और प्रतिष्‍ठा प्रदान करने के लिए उन्‍हें व्‍हीलचेयर उपलब्‍ध करवाना इस दिशा में पहला कदम है।

मतदाता हेल्पलाइन ऐप

यह ऐप उपयोगकर्ताओं को ऐसी सूचनाएं खोजने में मदद करेगा, जिसे वे ढूँढ़ रहे हैं। नागरिक अपनी अभिरुचियों के आधार पर इस ऐप को ब्राउज़ कर सकते हैं और निर्वाचन प्रक्रिया के बारे में और अधिक दिलचस्‍प तरीके से बहुत कुछ जान सकते हैं। 

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