National park in mp|मध्य प्रदेश के 12 राष्ट्रीय उद्यानों के नाम (12 national park in mp list)|madhya pradesh ke rashtriy udyan

M.P. National Park

National park in mp आज इस आर्टिकल में हम मे मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान की सूची (list of MP National Park) के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे तथा मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्राप्त करेंगे जैसे – मध्य प्रदेश में कितने राष्ट्रीय उद्यान है , मध्य प्रदेश का पहला राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है , मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान , मध्य प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है , मध्य प्रदेश में डायनासोर राष्ट्रीय उद्यान किस नदी के किनारे स्थित है , मध्य प्रदेश में कितने टाइगर रिजर्व है , ओंकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान कब बना आदि के बारे में जानकारी उपलब्ध कराया गया इसलिए अंत तक जरूर पढ़े I

Table of Contents

राष्ट्रीय उद्यान क्या है ?

राष्ट्रीय उद्यान समृद्ध जैव विविधता वाला एक ऐसा विस्तृत क्षेत्र होता है जहां एक या अनेक प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र पाए जाते हैं राज्य सरकार किसी ऐसे क्षेत्र को जो पारिस्थितिकी जीव जंतुओ , वनस्पतियों , भूआकृति एवं जलीय महत्व का हो तथा उसे संरक्षित किया जाना आवश्यक हो वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत , राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर सकती है यह क्षेत्र मानवीय हस्तक्षेप से संरक्षित होने के कारण पूर्णतया अपरिवर्तित होता है राष्ट्रीय उद्यान में शिकार , पशुचारण पूर्णता प्रतिबंधित होती है ।

वर्तमान में मध्य प्रदेश में 12 राष्ट्रीय उद्यान (11 निर्मित +1 प्रस्तावित) तथा 24 अभ्यारण हैं जो इसे देश में प्रथम स्थान दिलाता है I

नोट :- पालपुर कूनो अभ्यारण के राष्ट्रीय उद्यान बनने से मध्यप्रदेश में 24 अभ्यारण शेष बचे हैं I

मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य में चीतल सर्वाधिक संख्या में पाया जाता है I

सबसे बड़ा भारतीय हिरण सांभर है ।

मध्य प्रदेश के 12 राष्ट्रीय उद्यानों के नाम (12 national park in mp list)

क्र.राष्ट्रीय उद्यानस्थापना
1.कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान1955
2.माधव राष्ट्रीय उद्यान1958
3.बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान1968
4.जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान1968
5.वन विहार राष्ट्रीय उद्यान1979
6.संजय राष्ट्रीय उद्यान1981
7.पन्ना राष्ट्रीय उद्यान1981
8.सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान1983
9.पेंच राष्ट्रीय उद्यान1983
10.ओंकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान2004
11.डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान2011
12.पालपुर कूनो राष्ट्रीय उद्यान2018

मध्य प्रदेश के प्रथम पांच ( बड़े से छोटे आकार ) राष्ट्रीय उद्यानो का क्रम इस प्रकार है –

क्र.राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रफल
1.कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान940 वर्ग कि.मी.
2.पन्ना राष्ट्रीय उद्यान543 वर्ग कि.मी
3.सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान528 वर्ग कि.मी
4.संजय राष्ट्रीय उद्यान466 वर्ग कि.मी
5.बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान448 वर्ग कि.मी

मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान ( क्षे. 940 वर्ग कि.मी. ) है I

मध्य प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान ( क्षे. 0.27 वर्ग कि. मी. ) है I

कान्हा किसली – मंडला एवं बालाघाट|Kanha kisli national park 

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1933 में वन्य जीव अभ्यारण के रूप में की गयी जिसे 1955 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के मंडला एवं बालाघाट जिले के अंतर्गत आता है I

क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान है जो लगभग 940 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है I

नोट :- मध्य प्रदेश के विभाजन से पहले संजय राष्ट्रीय उद्यान सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान था जिसका अधिकांश भाग छत्तीसगढ़ में जाने से कान्हा सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान बन गया है I

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का पहला राष्ट्रीय उद्यान है तथा मध्य प्रदेश में सर्वाधिक प्राचीन नेशनल पार्क भी है I

कान्हा किसली मध्य प्रदेश का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है जिसे 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया I

सन 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का 917.43 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र कान्हा व्याघ्र संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया I

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र घोड़े के नाल के आकार का है यह क्षेत्र सतपुड़ा पहाड़ियों से घिरा हुआ है I

मध्य प्रदेश के कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान में अमेरिका की ‘ नेशनल पार्क सर्विस ‘ के सहयोग से ” पार्क इंटरप्रिटेशन ” योजना चल रही है I

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान में बैगा महिलाएं गाइड का काम करती है।

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान में ब्रेडरी प्रजाति का बारहसिंघा पाया जाता है जो भारत के केवल इसी राष्ट्रीय उद्यान में पाया जाता है ।

नोट :- मध्य प्रदेश सरकार ने बारहसिंघा को 1 नवंबर 1981 को राज्य की पशु घोषित किया है।

कान्हा टाइगर रिजर्व मार्च 2017 के अंतिम सप्ताह में भारत का पहला टाइगर रिजर्व बना जिसने आधिकारिक रूप से एक शुभंकर (मेस्कॉट) जारी किया शुभंकर का नाम भूरसिंह है जो एक बारहसिंघा है इस शुभंकर के साथ आए व्यंग चित्रकार रोहन चक्रवर्ती है जो भारत के वन्यजीव और पर्यावरण कार्टूनिस्ट है ।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में नर्मदा नदी की दो सहायक नदियां बंजर और हालोन इसके बीच से बहती हैं ।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के मध्य से सुर्पड़ा नदी खड़ी चट्टानों ढलान में बहती है जो कि मैकाल पहाड़ी द्वारा निर्मित है I

चार सिंग वाला मृग चौसिंगा जिसे अंग्रेजी में Four horned Antelope कहते हैं एक छोटा बहुसिंगा है यह मृग की दुर्लभ प्रजाति है जो कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में देखी जा सकती है ।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान केंद्रीय भारतीय हाइलैंड्स का हिस्सा है ।

बमनी दादर नामक पठार कान्हा का सबसे ऊंचा स्थान है I

सनसेट प्वाइंट बमनी दादर इस राष्ट्रीय उद्यान का सबसे खूबसूरत स्थान है यहां का मनमोहक सूर्यास्त पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है ।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत बंजर घाटी और हेलो घाटी प्रमुख दर्शनीय स्थल है ।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मे नेशनल ज्योग्राफिक की पुरस्कार विजेता “लैंड ऑफ द टाइगर्स ” शूट की गई थी ।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में अधिकतर साल के पेड़ पाए जाते हैं इसके साथ घास के मैदान और बांस के जंगल वन्य जीवन के लिए मानो स्वर्ग है ।

माधव राष्ट्रीय उद्यान – शिवपुरी|Madhav rashtriya udyan shivpuri

माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित है जो ग्वालियर संभाग के अंतर्गत आता है ।

माधव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1958 में की गई थी जिसका क्षेत्रफल लगभग 355 वर्ग किलोमीटर है ।

माधव राष्ट्रीय उद्यान आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग (NH – 3 ) पर स्थित है I

माधव राष्ट्रीय उद्यान में मानिहार नदी बहती है।

माधव राष्ट्रीय उद्यान मूल रूप से ग्वालियर के महाराजा के लिए शाही शिकार का क्षेत्र था I

माधव राष्ट्रीय उद्यान में एक पहाड़ी के शिखर पर जॉर्ज कैसल नामक एक भवन बना हुआ है I

माधव राष्ट्रीय उद्यान में सॉख्य सागर नामक कृत्रिम झील है I

नोट :- माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1918 में मनिहार नदी पर बांधों का निर्माण कराते हुए सॉख्य सागर और माधव तालाब का निर्माण करवाया था I

माधव राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हिरण की हैं लेकिन मांसाहारी जानवर में तेंदुआ सबसे ज्यादा दिखाई देता है I

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान – उमरिया|Bandhavgarh national park

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बघेलखंड पठार के उमरिया जिले में स्थित है जो सफेद बाघ के लिए प्रसिद्ध है I

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1968 में की गई थी तथा इसे 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया था I

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 448 वर्ग किलोमीटर है I

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान देश में सर्वाधिक बाघों का घनत्व वाले रखने वाला राष्ट्रीय उद्यान है इस राष्ट्रीय उद्यान में प्रति 8 किलोमीटर पर एक बाघ पाया जाता है जो देश में सर्वाधिक है I

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान 32 पहाड़ियों से घिरा हुआ है इस राष्ट्रीय उद्यान में एक मुख्य पहाड़ है जो बांधवगढ़ कहलाता है इसमें एक किला एवं संस्कृत शिलालेख के साथ गुफा मंदिर भी है I

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान विंध्य पर्वतमाला के पूर्वी क्षेत्र में स्थित हैं I

पहले बांधवगढ़ के चारों ओर फैले जंगल का रखरखाव रीवा के महाराजा के शिकारगाह के रूप में किया जाता था I

मध्य प्रदेश में जंगल गलियारा योजना में बांधवगढ़ तथा कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यानों को एक संकरी पट्टी द्वारा सर्वप्रथम जोड़े जाने का प्रस्ताव रखा गया है इस प्रकार यह देश में पहला प्रयास है I

सीता बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के बंगाल टाइगर में से एक है जो कि नेशनल ज्योग्राफिक मैगजीन के कवर पर दिखाई दी I

बांधवगढ़ नेशनल पार्क से निकलने वाली नदी चरणगंगा है I

जीवाश्म / फॉसिल / घुघवा राष्ट्रीय उद्यान – डिंडोरी|Jivashm rashtriya udyan 

जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले ( शाहपुरा तहसील ) में स्थित है जिसका विस्तार मंडला जिले में भी है यह मध्य प्रदेश का प्रथम जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान है I

नोट :- यह भारत के चार जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है I

फॉसिल जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1968 में की गई थी यहां पर भूतल जीवाश्म रखे जाते हैं I

क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान फॉसिल डिंडोरी है इसका क्षेत्रफल मात्र 0.27 वर्ग किलोमीटर है I

फासिल जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान में विशेष रूप से कई पाम जीवाश्म भी पाए गए हैं I

किसी जीवाश्म पार्क के जीवाश्म 40 से 150 मिलियन वर्ष पुराने होने चाहिए I

राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान घुघवा के नाम से जाना जाता है इसे घुघवा फॉसिल पार्क भी कहते हैं घुघवा जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान का प्रमुख स्थल है I

यह नेशनल पार्क पौधों के जीवाश्म का राष्ट्रीय उद्यान है यहां पर 6.5 करोड़ वर्ष पुराने पेड़ों के जीवाश्म अमूल्य धरोहर के रूप में मौजूद हैं I

इस राष्ट्रीय उद्यान में पादपो तथा जंतुओं के जीवाश्म पाए जाते हैं I

जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान कान्हा और बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के बीच स्थित है I

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान – भोपाल|Van vihar national park

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1979 में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में की गई थी इसका क्षेत्रफल 4.45 वर्ग किलोमीटर है I

भोपाल का वन विहार एक अनोखा राष्ट्रीय उद्यान है जिसको एक आधुनिक चिड़ियाघर के रूप में भी मान्यता प्राप्त है I

1983 में अंतः स्थलीय वन्य प्राणी संरक्षण राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देकर वन विहार नाम दिया गया I

1993-94 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा चिड़ियाघर के रूप में मान्यता दी गई I

2006-07 में वन विहार को मध्य भारत क्षेत्र का वन्य प्राणी रेस्क्यू सेंटर घोषित किया गया I

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान थ्री इन वन राष्ट्रीय उद्यान है नेशनल पार्क के साथ-साथ , एक चिड़ियाघर तथा जंगली जानवरों का रेस्क्यू सेंटर भी है I

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के बीच में स्नेक पार्क ( सर्प उद्यान ) भी स्थित है I

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आम लोगों के दिल में वन्य प्राणियों के लिए स्नेह और जागरूकता बढ़ाने के लिए वन्य प्राणियों को गोद लेने की योजना भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में प्रारंभ की गई है I

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान को प्रतिष्ठित ISO9001 : 2008 अवार्ड प्रमाण पत्र दिया गया है यह प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाला वनविहार देश का पहला राष्ट्रीय उद्यान है I

यह प्रदेश का एकमात्र ऐसा चिड़ियाघर भी है जिसकी देख रेख वन विभाग करता है अन्य चिड़ियाघर का प्रबंधन स्थानीय नगर निगम करते हैं I

संजय ( डुबरी ) राष्ट्रीय उद्यान – सीधी|Sanjay national park

संजय राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के सीधी जिले के अंतर्गत आता है I

संजय राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1981 मे हुई थी तथा इसे भारत सरकार द्वारा 2008 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल कर लिया गया था I

संजय राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 467 वर्ग किलोमीटर है I

मध्य प्रदेश के विभाजन से पूर्व संजय राष्ट्रीय उद्यान सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान था वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद इसका एक बड़ा भाग छत्तीसगढ़ के राज्य के पास चला गया इसका पुराना नाम डुबरी था I

छत्तीसगढ़ में यह राष्ट्रीय उद्यान गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता है।

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान – पन्ना तथा छतरपुर|Panna national park

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के पन्ना तथा छतरपुर जिले के अंतर्गत आता है I

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 543 वर्ग किलोमीटर है I

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1981 में हुई थी I

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान को 1994 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया था I

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान को 2011 में जैव मंडल रिजर्व घोषित किया गया है I

केन नदी मध्यप्रदेश के पन्ना राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुजरती है इसी राष्ट्रीय उद्यान के साथ केन घड़ियाल वन्य जीव अभ्यारण भी है जो केन नदी पर स्थित है इस प्रकार केन नदी पन्ना राष्ट्रीय उद्यान तथा केन घड़ियाल अभ्यारण से बहने वाली प्रमुख नदी है I

भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय से उत्कृष्टता का पुरस्कार पन्ना राष्ट्रीय उद्यान को 2007 में मिला I

2016-17 में विश्व प्रसिद्ध वेबसाइट ट्रिप एडवाइजर द्वारा अवार्ड ऑफ एक्सिलेंस प्रदान किया गया है ।

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में प्रदेश का एकमात्र रेप्टाइल पार्क है जहां घड़ियाल , मगरमच्छ आदि का प्राकृतिक आवास है I

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में जंगली भैंसों की संख्या सर्वाधिक है।

पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत लाई गई बाघिन T1 की पहली संतान 16 अप्रैल 2010 को हुई थी इसलिए पन्ना टाइगर रिजर्व में प्रत्येक वर्ष 16 अप्रैल को बाघ जन्मोत्सव मनाया जाता है I

वर्ष 2015-16 के दौरान यहां लगातार बाघों की मौत के बाद चर्चा में आया तत्पश्चात बाघ संरक्षण की दिशा में प्रयास किया गया I

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान को विश्व वन्यजीव कोष ( WWF ) से भी सहायता प्राप्त हो रही है I

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान – होशंगाबाद|Satpura national park

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में लगभग 528 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है I

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान 1983 में स्थापित किया गया था I

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान को 1999-2000 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल कर लिया गया I

मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ ( 1350 मी. ) यही स्थित है I

इस राष्ट्रीय उद्यान में कृष्णा मृगो की बहुतायत है I

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान खासतौर से बाघ संरक्षण केंद्र के रूप में विख्यात है लेकिन काला हिरण भी यहां का विशेष आकर्षण है I

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले इंडियन बायसन जिसे गौर के नाम से जाना जाता है वर्तमान में सर्वाधिक गौर भारत में पाए जाते हैं यह जानवर बाघ से नहीं डरता है तथा मध्य प्रदेश के सभी अभयारण्यों और रिजर्व में पाया जाता है I

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान हाथी , डोंगी , नाव , जीप और चलने की सफारी प्रदान करता है I

पूरे मध्य भारत में यह एकमात्र टाइगर रिजर्व जहां पर प्राकृतिक रूप से चलने की आजादी है I

नर्मदा नदी के दक्षिण में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व स्थित है I

मढई पर्यटन स्थल सतपुडा राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत है।

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान पंचमढी बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल है I

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान के बीचो-बीच देवना नदी प्रवाहित होती है।

पेंच राष्ट्रीय उद्यान – सिवनी एवं छिंदवाड़ा|Pench national park

पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा जिले में तथा महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है I

वर्ष 1977 में 449.39 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र को पेंच अभ्यारण क्षेत्र घोषित किया गया तथा वर्ष 1983 में इसमें से 292.85 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पेंच राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था एवं 118.47 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पेंच अभ्यारण के रूप में रखा गया I

पेंच राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया था I

पेंच राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 293 वर्ग किलोमीटर है I

पेंच राष्ट्रीय उद्यान को इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पार्क भी कहा जाता है I

नोट :- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान तमिलनाडु में है I

पेंच राष्ट्रीय उद्यान का नाम इसे दो भागों में बांटने वाली पेंच नदी के नाम पर हुआ है पेंच नदी इस राष्ट्रीय उद्यान को छिंदवाड़ा और शिवनी इन दो जिलों के बीच विभाजित कर देती है यह नदी उद्यान के उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर बहती है I

वर्ष 2002 में पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच अभ्यारण का नाम क्रमशः इंदिरा प्रियदर्शनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच मोगली अभ्यारण्य रखा गया I

पेंच राष्ट्रीय उद्यान मोगली की असली भूमि और रूडयार्ड किपलिंग द्वारा लिखित प्रसिद्ध जंगल बुक का क्षेत्र माना जाता है I

पेंच राष्ट्रीय उद्यान में मोगली लैंड क्षेत्र तथा वाटर राफ्टिंग सुविधा है I

मध्य प्रदेश के पेंच राष्ट्रीय उद्यान में कृष्ण मृग की संख्या सर्वाधिक है I

ओमकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान – खंडवा|omkareshwar national park

ओमकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान खंडवा जिले के ओमकारेश्वर के निकट स्थित है I

ओमकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना की जाने की अधिकृत घोषणा वर्ष 2004 में की गई थी I

प्रस्तावित (2004)

डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान – धार|Daynasor National Park

करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी से विलुप्त हो चुके डायनासोर के अंडो के जीवाश्म मध्यप्रदेश के धार जिले में खोजे गए जिनके संरक्षण के लिए प्रदेश के धार जिले में बाग के निकट डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान स्थापित किया गया है I

डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना दिसंबर 2010 में किए जाने की मंजूरी प्रदान की गई थी किंतु इसकी स्थापना की अधिकारिक घोषणा जुलाई 2011 में की गई I

डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान में 6.5 करोड़ वर्ष पुराने डायनासोर के जीवाश्म ( अंडे ) है I

डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान में एक म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा I

डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान में डायनासोर के घोंसले संरक्षित किए जाएंगे इसके अलावा करोड़ों वर्ष पुराने पत्थरों से निर्मित हथियार व समुद्री जीवो के जीवाश्म भी संग्रहित रहेंगे I

पालपुर कूनो राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर|palpur kuno national park

पालपुर कूनो राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर में स्थित है जिसकी स्थापना 1981 में अभ्यारण के रूप में की गई थी , 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया I

कूनो राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 413 वर्ग किलोमीटर है I

गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले एशियाटिक बब्बर शेरों को मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित पालपुर कूनो अभ्यारण में लाने के लिए इस अभ्यारण को नेशनल पार्क घोषित किया गया I

कूनो नदी इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती है I

इसे वर्ष 2009 में अफ्रीकन चीता के पुनर्स्थापना के लिए भी चिन्हित किया गया है I

मध्यप्रदेश में प्रोजेक्ट टाइगर ( Project Tiger in Madhya Pradesh )

विश्व में प्रोजेक्ट टाइगर के जनक गेनी मेनफोर्ड है ।

भारत में प्रोजेक्ट टाइगर के जनक कैलाश सांख्यला है, जिन्हें टाइगर मेन ऑफ इंडिया कहते है।

भारत सरकार ने बाघों को संरक्षित करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर कार्यक्रम शुरू किया यह कार्यक्रम वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर एवं भारतीय वन्य प्राणी बोर्ड द्वारा 1970 में गठित एक विशेष कार्य दल की संस्तुति पर प्रारंभ किया गया 1 अप्रैल 1973 को लागू एवं शुरू हुई है टाइगर प्रोजेक्ट के प्रारंभ में जिन 9 क्षेत्रों में लागू किया गया उनमें मध्य प्रदेश का कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भी शामिल था I

प्राजेक्ट टाइगर की शुरूआत 1973 में भारत सरकार ने की थी।

म.प्र. में इस कार्यक्रम का प्रारंभ 1974 में कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान से की गयी।

मध्य प्रदेश के 6 राष्ट्रीय उद्यान तथा एक अभ्यारण प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत शामिल हैं अर्थात प्रदेश में कुल 7 राष्ट्रीय उद्यान अभ्यारण प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व परियोजना में शामिल हैं जो देश में सर्वाधिक हैं I

मध्यप्रदेश देश के कुल टाइगर रिजर्व का लगभग 10% टाइगर रिजर्व अकेले संभाले हुई है I

Madhya Pradesh के प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल राष्ट्रीय उद्यान –

क्रमांक राष्ट्रीय उद्यानप्रोजेक्ट टाइगर मेल शामिल होने का वर्ष
1.कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान1974
2.पेंच राष्ट्रीय उद्यान1992
3.बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान1993
4.पन्ना राष्ट्रीय उद्यान1994
5.सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान1999-2000
6.संजय राष्ट्रीय उद्यान2008

नोट :- मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित रातापानी अभ्यारण को 2013 में प्रोजेक्ट टाइगर में सम्मिलित किया गया था I

मध्य प्रदेश के जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र|MP Jaiv mandal arakshit kshetra

व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर , सतना|White tiger safari mukundpur satna

3 अप्रैल 2016 को सतना जिले के मुकुंदपुर में विश्व की पहली व्हाइट टाइगर सफारी का लोकार्पण करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सफारी का नामकरण महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव पर करने की घोषणा की थी I

मध्यप्रदेश में 1915 के दशक में पहली बार सफेद बाघ विंध्य क्षेत्र में देखा गया हालांकि इस दुर्लभ नस्ल के बाघ कि वर्ष 1920 में मृत्यु हो गई थी I

मध्य प्रदेश का रीवा जिला प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है जहां पर सफेद बाघ पाए जाते हैं वर्ष 1951 में मोहन नामक एक सफेद बाघ शावक को रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह ने पकड़ा था बाद में यही सावक दुनिया भर के सभी ज्ञात सफेद बाघों के प्रजनन का कारण बना I

बाघ संगणना- 2018 |Bagh janganana-2018

बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष
विश्व बाघ दिवस 29 जुलाई को मनाया जाता है , इसकी शुरुआत वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट के समय की गई थी। 

वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2018 में बाघों की संख्या में लगभग 33% की वृद्धि दर्ज की गई है।वैश्विक बाघों की आबादी की लगभग 70 प्रतिशत भारत में है। 

राष्ट्रीय बाघ आकलन रिपोर्ट 2018 के अनुसार देश में कुल बाघों की संख्या 2967 है जिसमें से मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 526 है जो देश में सर्वाधिक है जबकि दूसरे स्थान पर कर्नाटक है I

राज्य बाघो की संख्या
मध्यप्रदेश 526
कर्नाटक 524
उत्तराखण्ड 442

मध्यप्रदेश में देश के बाघों की लगभग 18% भाग आबादी है I

वर्ष 2014 की बाघ रिपोर्ट में प्रदेश में 308 बाघ थे इस प्रकार पिछली बाघ रिपोर्ट के मुकाबले नई रिपोर्ट में 218 बाघ अधिक हैं I

मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या इस प्रकार है –

राष्ट्रीय उद्यानबाघों की संख्या
कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान122
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान110
पेंच राष्ट्रीय उद्यान58
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान48
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Note :- मुझे उम्मीद है कि आपको हमारा यह आर्टिकल National Park in MP पसंद आया होगा अगर आपको हमारा याद आर्टिकल पसंद आया हो तो इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं तथा अपने दोस्तों तक शेयर करें ।

FAQ’S

1. मध्य प्रदेश में कितने राष्ट्रीय उद्यान है ?

मध्य प्रदेश में कुल 12 राष्ट्रीय उद्यान है I

2. मध्य प्रदेश में कितने बायोस्फीयर रिजर्व हैं ?

मध्यप्रदेश में तीन बायोस्फीयर रिजर्व है –
1. पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व
2. अमरकंटक अचानक मार्ग बायोस्फीयर रिजर्व
3. पन्ना बायोस्फीयर रिजर्व

3. मध्य प्रदेश में कितने वन्य जीव अभ्यारण है?

मध्य प्रदेश में कुल 30 वन्य जीव अभ्यारण है I

4. मध्य प्रदेश का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है ?

मध्य प्रदेश का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान है इसकी स्थापना 1955 में हुई थी I

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