जन्म :- 21 मई 1896
मृत्यु :- 10 जनवरी 1952
रचनाएँ :- शिफाखाना , मुसाफिरखाना , लाठी और भैंस , औरत जात , तारीख , शादी , सुबह की लताफत , अंगुरा , गुलाबी उर्दू गुलाबी , मशहिरे भोपाल , दीवाने मुल्ला रमूजी , मजामीन मुल्ला रमूजी , खतूते मुल्ला रमूजी , जिन्दगी, मुल्ला रमूजी , खवातीन सवाने मुल्ला रमूजी , मजमूआ गुलाबी उर्दू , मीकालात गुलाबी उर्दू , इन्तिखाबे-गुलाबी उर्दू , शायरी जेग
Mulla Ramoji का जन्म 21 मई 1896 को भोपाल में हुआ ।
मूलाराम जी के पिता मोहम्मद साहिल अफगानिस्तान से नवाब सुल्तान जहां बेगम के जमाने में भोपाल आकर शासकीय सेवा में नियुक्त हुए ।
12 वर्ष की आयु में Mulla Ramoji ने कुरान कंठस्थ कर लिया था ।
सन 1921 में Mulla Ramoji की पहली किताब गुलाबी उर्दू प्रकाशित हुई और उर्दू साहित्य जगत में उनकी नई शैली की वजह से किताब ने सभी को आकर्षित किया ।
Mulla Ramoji शायरी भी करते थे एवं अंग्रेजों तथा अंग्रेजी शासन के खिलाफ व्यंग्यात्मक नज्में लिखते थे ।
Mulla Ramoji मुख्यतः हास्य व्यंग लिखते थे ।
गुलाबी उर्दू की शैली Mulla Ramoji कि अपनी ईजाद थी इस शैली में कुरान शरीफ के उर्दू अनुवाद के तरीके को अपनाया जाता है ।
उर्दू साहित्य के इतिहास कि कोई भी पुस्तक ऐसी नहीं है जिसमें Mulla Ramoji के साहित्य की प्रशंसा ना की गई हो ।
सन 1921 से 1952 तक के रचना काल में उनकी 29 किताबें प्रकाशित हुई ।
सन 1924 के बाद Mulla Ramoji ने अपनी प्रसिद्ध शैली के बजाय सीधी-सादी उर्दू में लिखना शुरू किया उसमें भी बहुत प्रसिद्धि पाई ।
मध्य प्रदेश सरकार ने संस्कृति भवन का नाम ” Mulla Ramoji संस्कृति भवन ” के नाम पर रखकर न केवल मध्यप्रदेश बल्कि भारत की उर्दू साहित्य को सम्मानित किया है।
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