खजुराहो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है ।
खजुराहो चंदेल राजाओं की राजधानी थी ।
चंदेल शासकों की अमूल्य धरोहर खजुराहो की नींव प्रसिद्ध राजा चंद्र वर्मा ने रखी थी ।
खजुराहो प्राचीन नाम खजूरपुरा और खजूर वाहक है। यहां हिंदू एवं जैन मंदिर स्थित है ।
खजुराहो में मंदिरों की संख्या 85 थी किंतु वर्तमान में 22 मंदिर बचे हैं जो लगभग 6 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हैं।
खजुराहो पर अनेक भव्य मंदिरों का निर्माण नागर शैली तथा पंचायतन शैली में हुआ है ।
खजुराहो अंतरराष्ट्रीय ख्याती प्राप्त है और नियमित वायु सेवा से जुड़ा हुआ है ।
चंदेल शासकों ने इनका निर्माण 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच करवाया ।
सामान्य रुप से खजुराहो के मंदिर लाल बलुआ पत्थर ( बुंदेलखंड का कालिंजर क्षेत्र ) से बने हुए हैं लेकिन चौसठ योगिनी, ब्रम्हा तथा ललगुआ महादेव मंदिर ग्रेनाइट पत्थर के बने हुए हैं।
नोट :- चौसठ योगिनी मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट से बना है ।
वर्तमान समय में खजुराहो में जो मंदिर खड़े हैं उनमें से 6 भगवान शिव को 8 भगवान विष्णु को , 1 भगवान गणेश और सूर्य भगवान को समर्पित हैं
यशोवर्मन जिन्हें लक्ष्मणबर्मन के नाम से भी जाना जाता है इन्होंने 925 – 950 ईसवी के बीच शासन किया और प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर की स्थापना की ।
लक्ष्मण बर्मन के पुत्र राजा धंग ने दो प्रसिद्ध मंदिरों विश्वनाथ मंदिर और विद्यानाथ मंदिर का निर्माण कराया जो भगवान शिव को समर्पित हैं तथा जैन उपवासको के लिए पार्श्वनाथ मंदिर की स्थापना की
खजुराहो की मंदिरों में सबसे बड़ा कंदरिया महादेव मंदिर है जो भगवान शिव का मंदिर है जिसका निर्माण चंदेल शासक विद्याधर (1017-1029 ईसवी) के शासन के दौरान हुआ था ।
चित्रगुप्त मंदिर खजुराहो का एकमात्र सूर्य मंदिर है ।
खजुराहो के मंदिर बिना किसी परकोटे के ऊंचे चबूतरे में निर्मित किए गए हैं।
खजुराहो भारतीय आर्य स्थापत्य कला एवं वास्तुकला नायब मिसाल है।
यशोवर्मन ने कन्नौज पर आक्रमण कर प्रतिहार राजा देवपाल को हराया तथा उससे एक विष्णु प्रतिमा प्राप्त कर खजुराहो के विष्णु मंदिर में स्थापित किया।
प्रदेश में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक खजुराहो में आते हैं ।
भारत के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में खजुराहो का तीसरा स्थान है ।
खजुराहो को 1986 में यूनेस्को ने अपनी विश्व विरासत सूची में विश्व संपदा के रूप में शामिल किया है यह प्रदेश का प्रथम स्थान था जिसे यूनेस्को में शामिल किया गया ।
मोरक्को यात्री इब्नबतूता ने अपने लेखों में प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर का उल्लेख किया था ।
खजुराहो के मंदिरों को परिसर के भीतर तीन समूहों में उनके स्थान के अनुसार वर्गीकृत किया गया है –
खजुराहो में मैथुन एवं रतिक्रीड़ाओं का सजीव चित्रण किया गया है ।