मौलिक कर्तव्यों की प्रासंगिकता|#Indian polity|#mppsc

सामान्य जानकारी ( General Information)

यदि अधिकारों के साथ कर्त्तव्य न जुड़े हों तो अधिकार निरर्थक हो जाते हैं। यदि हम एक नागरिक के रूप में अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह नहीं करते तो अन्य लोग अपने अधिकारों का आनन्द नहीं ले सकते। इतना ही नहीं बल्कि राज्य भी हमारी रक्षा करने तथा हमारी आवश्यकताओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य मकान, पानी इत्यादि को पूरा करने के अपने दायित्व का ठीक ढंग से पालन नहीं कर सकेगा। इसलिए महसूस किया गया कि भारत के संविधान में मौलिक कर्त्तव्यों को शामिल किया जाना चाहिए।

भारत में जिस प्रकार राज्यों के लिए नीति निदेशक तत्व हैं उसी प्रकार नागरिकों के लिए मौलिक कर्त्तव्य हैं। दोनों का पालन स्वेच्छा पर निर्भर है। उसके लिए कोई विधिक बाध्यता नहीं हैं। अतः यदि कोई नागरिक मौलिक कर्तव्य का पालन नहीं करता है तो उसे किसी दण्ड से दण्डित नहीं किया जा सकता है |

मौलिक कर्तव्य को रूस ( पूर्व सोवियत संघ ) के संविधान से लिया गया है।

मूल संविधान में एक भी मौलिक कर्तव्य नहीं थे

सरदार स्वर्णसिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान मे मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया था इस समिति ने 8 मूल कर्तव्यों को जोड़ने की सिफारिश की थी लेकिन 42 वें संशोधन 1976 के द्वारा 10 मौलिक कर्तव्यों को संविधान में जोड़ा गया।

नोट :- मौलिक कर्तव्य बस नहीं बल्कि पूरा का पूरा 42वां संविधान संशोधन सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर जोड़ा गया था इस समय इंदिरा गांधी की सरकार थी ।


मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग IV(A) के अनुच्छेद 51(A) में किया गया है।

मूल रूप से मौलिक कर्तव्यों की संख्या 10 थी वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन द्वारा अनु. 51 क (ट) के तहत एक और कर्तव्य जोड़े जाने पर अब मौलिक कर्तव्यों की कुल संख्या 11 हो गई है ।

11 वा मौलिक कर्तव्य शिक्षा के अधिकार का पूरक है इसलिए माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वे शिक्षा के अधिकार का अधिकतम लाभ उठाएं।

संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्य केवल भारतीय नागरिकों के लिए हैं।

एम. सी मेहता बनाम भारत संघ के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद-51 क, खण्ड (छ) के अन्तर्गत केन्द्र सरकार का यह कर्त्तव्य है कि वह देश की शिक्षण संस्थाओं को सप्ताह में एक घण्टे पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा देने का निर्देश दे।

मौलिक कर्तव्यों की अवहेलना करने पर दंड देने की व्यवस्था नहीं है।

जे. एस. वर्मा समिति का संबंध भी मौलिक कर्तव्यों से है इस समिति का गठन 1998 में किया गया था जिसका उद्देश्य प्रत्येक शिक्षण संस्थान में मौलिक कर्तव्यों को लागू करने और सभी विद्यालयों में इन कर्तव्यों को सिखाने के लिए रणनीति से था ।

गाँधी जी का कथन जो हमें मूल कर्त्तव्य के प्रति समर्पित करता है – ” अधिकार का स्रोत कर्त्तव्य हैं। यदि हम सब अपने कर्त्तव्यों का पालन करें तो अधिकारों को खोजने हमें दूर नहीं जाना पड़ेगा। यदि अपने कर्त्तव्यों को पूरा करे बगैर हम अधिकारों के पीछे भागेंगे तो वह छलावे की तरह हमसे दूर रहेंगे, जितना हम उनका पीछा करेंगे, वह उतनी ही और दूर उड़ते जाएंगे। जिन अधिकारों के हम पात्र होना चाहते हैं तथा जिन्हें हम सुरक्षित कराना चाहते हैं, वे सभी अच्छी तरह निभाए गए कर्त्तव्य से प्राप्त होते हैं।”

मौलिक कर्तव्य ( Fundamental duties )

1. भारत के प्रत्येक नागरिक का यह मौलिक कर्त्तव्य है कि वह भारतीय संविधान का पालन करे, उसके आदर्श संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे ।

नोट :- राष्ट्रीय गीत शब्द का उल्लेख नहीं हुआ है ।

नोट :- राष्ट्रगान या राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करना दंडनीय अपराध है ।

2. प्रत्येक नागरिक , स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को अपने हृदय में संजोए रखे और निष्ठापूर्वक पालन करे ।

3. प्रत्येक नागरिक देश की प्रभुता, एकता व अखण्डता की रक्षा करे और उसे बनाए रखने में अपना सहयोग प्रदान करे ।

4. देश की रक्षा करे प्रत्येक नागरिक और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की जी-जान से सेवा करे ।

5. भारत के समस्त लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का विकास करे ।

6. हमारी समन्वित सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझे व उनका आदर करे और संरक्षण करे ।

7. देश की प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा व उसका संवर्द्धन करे ।

8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण व मानववाद का विकास करे और निरन्तर ज्ञानार्जन कर देश सेवा में अपने ज्ञान को लगाये ।

9. सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखने का हरसंभव प्रयास करे और हिंसात्मक गतिविधियों से दूर रहे ।

10. प्रत्येक नागरिक व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के समस्त क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धियों की नई ऊंचाइयों को छू ले ।

11. माता-पिता, अभिभावक या संरक्षक अपने 6 से 14 वर्ष के बच्चों प्राथमिक शिक्षा का अवसर अवश्य प्रदान करें।

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