बुंदेला विद्रोह 1842 | Bundela Vidroh

हेलो दोस्तों आज हम इस पोस्ट में बुंदेला विद्रोह के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे इस पोस्ट में हम बुंदेला विद्रोह के कारण , परिणाम तथा उसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे I

मध्य प्रदेश का बुंदेला विद्रोह

बुंदेला विद्रोह 1842 में बुंदेलखंड की रियासतों द्वारा किया गया विद्रोह था I

बुंदेला विद्रोह 1842 का प्रमुख कारण ब्रिटिश भू राजस्व नीति की कमियां थी इस विद्रोह का प्रसार मुख्यतः सागर और नर्मदा क्षेत्र में था I

यह विद्रोह 1842 में सागर तथा नर्मदा क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में हुआ इस विद्रोह में राजाओं , मालगुजार और जागीरदारों ने हिस्सा लिया I

1842 में उत्तरी सागर के दो बुंदेला ठाकुरों जवाहर सिंह बुंदेला और मधुकर शाह पर लगान वसूली के लिए सागर के दीवानी न्यायालय ने डिक्री देकर उनकी संपत्ति को जप्त करने की धमकी दी थी I

Note :- डिक्री – किसी सक्षम न्यायालय के निर्णय की औपचारिक अभिव्यक्ति I

इस डिक्री के विरोध में बुंदेला ठाकुरों ने कुछ अंग्रेज सिपाहियों को मार दिया तथा शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया यह विद्रोह समस्त बुंदेलखंड में फैल गया ।

नरसिंहपुर में यह विद्रोह सबसे अधिक सफल रहा नरसिंहपुर में विद्रोह का नेता राजा दिल्हन शाह ने अपने अन्य मालगुजारों ओं के साथ मिलकर देवरी और चांवरपाठा क्षेत्र पर अधिकार कर लिया।

जबलपुर से हीरापुर के राजा हिरदेशाह ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया।

नोट :- हीरापुर नर्मदा की घाटी में विंध्यांचल की तराई में हिरन नदी और नर्मदा नदी के संगम के पास स्थित था I

विद्रोह की आग समस्त बुंदेलखंड में फैल गई तथा बुंदेला विद्रोह का परिणाम यह हुआ कि नर्मदा के दोनों तटों के नरसिंहपुर, सागर और जबलपुर के बहुत बड़े भाग में से विदेशी सत्ता कुछ समय के लिए उठ गई।

1842 के अंत तक विद्रोही सरदारों तथा अंग्रेजो के बीच छोटी-मोटी टक्कर होती रही। किंतु इसी बीच कर्नल एली द्वारा राजा हिरदेशाह को सपरिवार पकड़ लिया गया। हिरदेशाह और उसके दल के पकड़े जाने से विद्रोहियों का मनोबल गिर गया। बाद में स्लीमैन की सिफारिश पर ब्रिटिश सरकार ने हिरदेशाह और उनके साथियों को माफ कर कैद मुक्त किया I

नरहुत के मधुकर शाह को पकड़कर सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई।

बुंदेला विद्रोह के प्रमुख विद्रोहकर्ता :-

जैतपुर के राजा – परिछित
हीरापुर के राजा – हिरदेश शाह
नरहट के जमीदार – मधुकर शाह
चिरगांव के जागीरदार – राव बसंत सिंह
झीझन के दीवानराव – बसंत सिंह
मदनपुर – ढिल्लनशाह

बुंदेला विद्रोह के प्रमुख कारण

  1. कठोर भू राजस्व पद्धति :- अंग्रेजों द्वारा लगाए गए लगान की उच्च दर थी , साथ ही लगान वसूलने की साथ ही लगान वसूलने की पद्धति कठोर थी लगान ना चुकाने पर भूमि से वंचित कर दिया जाता था I
  2. लगान की निम्न आय :- जमीदारों को लगान वसूलने के लिए लगान का 15% हिस्सा दिया जाता था जोकि लगान वसूलने में आए खर्च के लिए कम था जिससे पुराने जमीदारों की स्थिति खराब हो गई I
  3. न्यायालयों में भ्रष्टाचार :- दीवानी न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार तथा मामले वर्षों तक लंबित पड़े रहते थे I

पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले जमीदारों को सिविल कोर्ट व्यवस्था से छूट थी लेकिन 1836 में उन्हें भी इन व्यवस्थित व्यवस्था में सम्मिलित कर लिया गया I

  1. सैन्य परिस्थितियां :- 1839 में प्रथम अफगान युद्ध के कारण सागर नर्मदा क्षेत्र से अधिकांश फौज बुला ली गई तथा जमीदारों को विद्रोह के लिए यही समय उपयुक्त लगा I
  2. कठोर प्रशासन :- अंग्रेजों द्वारा आम लोगों पर प्रशासन बहुत कठोर था जिससे जमीदारों माल गुजारो को विद्रोह करने पर मजबूर कर दिया I

बुंदेला विद्रोह की प्रमुख सफलता

बेलगांव, पानीगढ़ युद्ध में जैतपुर के राजा पारिछत ने अंग्रेजों को पराजित किया I

बुंदेला विद्रोह की असफलता के कारण

1.संयुक्त प्रयास का अभाव :- विद्रोह को कुछ जमींदारों एवं राजाओं का समर्थन प्राप्त ना होना निजी लाभ के चलते कुछ जमींदारों और राजाओं ने विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों का सहयोग किया I

2. अधिकांश प्रयास एकाकी :- आपसी एकता का अभाव तथा अंग्रेजों की सैन्य शक्ति के कारण विद्रोह सफल नहीं हो सका।

3. योजना का अभाव :- विद्रोह की योजना में एकरूपता का अभाव तथा आधुनिक अस्त्र-शस्त्र का अभाव I

4. सर्वमान्य नेतृत्व का अभाव

5. शाहगढ़ रियासत के राजा बखतवली, बानपुर (ललितपुर) मर्दनसिंह और चरखारी रियासत ने अंग्रेजों का साथ दिया I

बुंदेला विद्रोह के परिणाम

अंग्रेजों की अपराजय की छवि को बुंदेला विद्रोह ने तोड़ दिया I

प्रशासनिक संरचना में परिवर्तन

सागर – नर्मदा क्षेत्र को उत्तर-पश्चिम प्रांत से हटाकर बुंदेलखंड में स्थित गवर्नर जनरल के एजेंट के अंतर्गत अधीन कर दिया गया I

बुंदेलखंड के एजेंट स्लीमैन को फ्रेजर के स्थान पर सागर और नर्मदा क्षेत्र का कमिश्नर नियुक्त किया गया I

न्याय प्रशासन में परिवर्तन

सिविल और सत्र न्यायाधीश अलग-अलग अधिकारी नियुक्त किए गए I

वित्तीय प्रशासन का उत्तरदायित्व स्लीमैन को सौंपा गया I

मुंसिफ के स्थान पर तहसीलदारों को रखा गया I

सदर बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के निर्देशों को सुधारा गया I

अंग्रेजों द्वारा 1845 में लगान में 10% की छूट दी गई ।

परीक्षित सिंह बुंदेला

जैतपुर रियासत के राजा थे I

1842 के बुंदेला विद्रोह का नेतृत्व किया I

इन्हें मजबूत सिंह कायस्थ ने जतारा में गिरफ्तार करवा दिया I

अंग्रेजों द्वारा कानपुर में कैद कर फांसी दे दी गई I

हिरदेशशाह लोधी

हीरापुर रियासत के राजा थे I

इन्होंने 1842 के बुंदेला विद्रोह तथा 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों के विरुद्ध भाग लिया I

इन्हें 1858 में फांसी दी गई ।

मधुकर शाह

नरहट रियासत के राजा थे I

1842 के बुंदेला विद्रोह में अंग्रेजों के विरुद्ध भाग लिया I

बानपुर (ललितपुर) के मर्दनसिंह की सहायता से कैप्टन बैकमेन ने गिरफ्तार किया I

सागर जेल में फांसी I

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