भीमबेटका गुफा|Bhimbetka Gufa

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भीम बैठका गुफा : प्राकृतिक सौंदर्य और प्राचीन इतिहास का संगम

भीम बैठका गुफा भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल है, जो न केवल अपनी प्राचीन शैल चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि एक अद्वितीय पुरातात्विक धरोहर भी है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर रायसेन जिले के अब्दुल्लागंज के निकट भीमबेटका की विश्व प्रसिद्ध गुफाएं स्थित हैं । इस स्थल को 2003 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया। यह स्थान अपनी प्राचीनता, सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के कारण पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करता है।

भीमबेटका विश्व का सबसे बड़ा गुफा समूह है।

इतिहास और महत्व

भीम बैठका का नाम महाभारत के महाबली भीम से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भीम ने अपने वनवास के दौरान इन गुफाओं में कुछ समय व्यतीत किया था, जिसके कारण इसे “भीम बैठका” नाम दिया गया। हालांकि, ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह स्थान प्राचीन मानव सभ्यता की झलक प्रस्तुत करता है।

यह स्थल पाषाण युग (Stone Age) की मानव सभ्यता के प्रमाणों को उजागर करता है। यहां पाए गए शैल चित्र 30,000 वर्ष से भी अधिक पुराने माने जाते हैं। इन चित्रों में तत्कालीन मानव जीवन, उनके दैनिक कार्यों, पशुओं के चित्रण, नृत्य, शिकार और सामाजिक जीवन का विवरण मिलता है। इन चित्रों में लाल और सफेद रंगों का उपयोग किया गया है, जो प्राकृतिक वनस्पतियों से निर्मित थे ।

भीम बैठका की खोज

भीम बैठका गुफाओं को 1957 में भारतीय पुरातत्व शास्त्री स्व. डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने खोजा था। वह इस क्षेत्र में ट्रेन से यात्रा करते समय इन गुफाओं के बारे में जानने के लिए उत्सुक हुए। गहन अध्ययन और शोध के बाद, यह पता चला कि यह स्थल पाषाण युग के मानव जीवन का अनमोल प्रमाण है।

भौगोलिक विशेषताएं

भीम बैठका गुफाएं विन्ध्याचल पर्वत श्रृंखला में स्थित हैं। यह क्षेत्र चारों ओर से घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। भीमबेटका साइट में सात पहाड़ियां शामिल है । यहां 750 से अधिक गुफाएं पाई गई हैं, जिनमें से 500 गुफाओं में शैल चित्र पाए गए हैं। इन गुफाओं को पांच अलग-अलग समूहों में विभाजित किया गया है, जो मानव सभ्यता के विभिन्न चरणों को दर्शाते हैं।

भीमबेटका की एक चट्टान को चिड़िया रॉक चट्टान के रूप में भी जाना जाता है इस चट्टान पर हिरण, वाइसन, हाथी और बारहसिंघा को चित्रित किया गया है इसके अलावा एक अन्य चट्टान मोर, सांप शेर और हिरण की एक तस्वीर को चित्रित करती है शिकार करने के दौरान शिकारियों को तीर, धनुष, ढोल, रस्सी और एक सूअर के साथ भी चित्रित किया गया है।

जू रॉक में पशु, मानव के अनेक चित्र उत्कीर्ण है जो विभिन्न कालों में बनाए गए हैं।

शैल चित्रों की विशेषताएं

भीम बैठका के शैल चित्र एक अद्भुत कला और तकनीकी कौशल का उदाहरण हैं। इन चित्रों में:

शिकार के दृश्य: प्राचीन मानवों द्वारा शिकार किए जाने वाले पशुओं और उनके उपकरणों को दर्शाया गया है।

नृत्य और सामाजिक जीवन: सामूहिक नृत्य, उत्सव और धार्मिक अनुष्ठानों के दृश्य।

पशु और पक्षी: गाय, भैंस, हिरण, हाथी, घोड़े और मोर जैसे जीवों का चित्रण।

युद्ध और हथियार: युद्ध के दृश्य और प्राचीन हथियारों का चित्रण।

इन चित्रों को देखकर पता चलता है कि उस समय के लोग कला, संगीत और सामाजिक आयोजनों में गहरी रुचि रखते थे।

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