National Park in MP आज इस आर्टिकल में हम मे मध्यप्रदेश के सभी 12 राष्ट्रीय उद्यान की सूची (list of 12 National Park in MP) के माध्यम से विस्तृत जा जानकारी प्राप्त करेंगे तथा मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्राप्त करेंगे जैसे – मध्य प्रदेश में कितने राष्ट्रीय उद्यान है , मध्य प्रदेश का पहला राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है , मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान , मध्य प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है , मध्य प्रदेश में डायनासोर राष्ट्रीय उद्यान किस नदी के किनारे स्थित है , मध्य प्रदेश में कितने टाइगर रिजर्व है , ओंकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान कब बना आदि के बारे में जानकारी उपलब्ध कराया गया इसलिए अंत तक जरूर पढ़े ।
Table of Contents
मध्य प्रदेश के सभी 12 राष्ट्रीय उद्यानों की सूची ( List of 12 National Park in Madhya Pradesh )
1.कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1933 में वन्य जीव अभ्यारण के रूप में की गयी जिसे 1955 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया , यह मध्य प्रदेश के मंडला एवं बालाघाट जिले के अंतर्गत आता है।, यह राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है जो लगभग 940 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है , यह मध्य प्रदेश का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है तथा मध्यप्रदेश में सर्वप्रथम 1974 में इसी राष्ट्रीय उद्यान से प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई , इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र घोड़े के नाल के आकार का है , यह क्षेत्र सतपुड़ा पहाड़ियों से घिरा हुआ है , इस राष्ट्रीय उद्यान में अमेरिका की ‘ नेशनल पार्क सर्विस ‘ के सहयोग से ” पार्क इंटरप्रिटेशन ” योजना चल रही है , इस राष्ट्रीय उद्यान में बैगा महिलाएं गाइड का काम करती है , इस राष्ट्रीय उद्यान में ब्रेडरी प्रजाति का बारहसिंघा पाया जाता है जो भारत के केवल इसी राष्ट्रीय उद्यान में पाया जाता है , यह राष्ट्रीय उद्यान मार्च 2017 के अंतिम सप्ताह में भारत का पहला टाइगर रिजर्व बना जिसने आधिकारिक रूप से एक शुभंकर (मेस्कॉट) जारी किया शुभंकर का नाम भूरसिंह है जो एक बारहसिंघा है इस शुभंकर के साथ आए व्यंग चित्रकार रोहन चक्रवर्ती है जो भारत के वन्यजीव और पर्यावरण कार्टूनिस्ट है , इस राष्ट्रीय उद्यान में नर्मदा नदी की दो सहायक नदियां बंजर और हालोन इसके बीच से बहती हैं तथा सुर्पड़ा नदी राष्ट्रीय उद्यान के मध्य से खड़ी चट्टानों ढलान में बहती है जो कि मैकल पहाड़ी द्वारा निर्मित है , चार सिंग वाला मृग चौसिंगा जिसे अंग्रेजी में Four horned Antelope कहते हैं एक छोटा बहुसिंगा है यह मृग की दुर्लभ प्रजाति है जो कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में देखी जा सकती है , यह राष्ट्रीय उद्यान केंद्रीय भारतीय हाइलैंड्स का हिस्सा है , बमनी दादर नामक पठार इस राष्ट्रीय उद्यान का सबसे ऊंचा स्थान है तथा सनसेट प्वाइंट है , इस राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत बंजर घाटी और हेलो घाटी प्रमुख दर्शनीय स्थल है ,इस राष्ट्रीय उद्यान मे नेशनल ज्योग्राफिक की पुरस्कार विजेता फिल्म “लैंड ऑफ द टाइगर्स ” शूट की गई थी , इस राष्ट्रीय उद्यान में अधिकतर साल के पेड़ पाए जाते हैं इसके साथ घास के मैदान और बांस के जंगल वन्य जीवन के लिए मानो स्वर्ग है ।
2.पन्ना राष्ट्रीय उद्यान
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के पन्ना तथा छतरपुर जिले के अंतर्गत आता है , इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1981 में हुई थी , इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 543 वर्ग किलोमीटर है , इस राष्ट्रीय उद्यान को 1994 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया था तथा 2011 में जैव मंडल रिजर्व घोषित किया गया है , केन नदी इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुजरती है , इसी राष्ट्रीय उद्यान के साथ केन घड़ियाल वन्य जीव अभ्यारण भी है जो केन नदी पर स्थित है इस प्रकार केन नदी पन्ना राष्ट्रीय उद्यान तथा केन घड़ियाल अभ्यारण से बहने वाली प्रमुख नदी है , इस राष्ट्रीय उद्यान में प्रदेश का एकमात्र रेप्टाइल पार्क है जहां घड़ियाल , मगरमच्छ आदि का प्राकृतिक आवास है , इस राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 2007 में भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय से उत्कृष्टता का पुरस्कार मिला तथा वर्ष 2016-17 में विश्व प्रसिद्ध वेबसाइट ट्रिप एडवाइजर द्वारा अवार्ड ऑफ द एक्सीलेंस प्रदान किया गया , इस राष्ट्रीय उद्यान में जंगली भैंसों की संख्या सर्वाधिक है , इस टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत लाई गई बाघिन T1 की पहली संतान 16 अप्रैल 2010 को हुई थी इसलिए इस राष्ट्रीय उद्यान में प्रत्येक वर्ष 16 अप्रैल को बाघ जन्मोत्सव मनाया जाता है , इस राष्ट्रीय उद्यान को विश्व वन्यजीव कोष (WWF ) से भी सहायता प्राप्त हो रही है।
3.सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में लगभग 528 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है , इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1983 में की गई थी तथा वर्ष 1999-2000 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल कर लिया गया , इस राष्ट्रीय उद्यान में मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ (1350 मी. ) स्थित है , यह राष्ट्रीय उद्यान नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है , इस राष्ट्रीय उद्यान में कृष्णा मृगो की बहुतायत है , यह राष्ट्रीय उद्यान खासतौर से बाघ संरक्षण केंद्र के रूप में विख्यात है लेकिन काला हिरण भी यहां का विशेष आकर्षण है , पूरे मध्य भारत में यह एकमात्र टाइगर रिजर्व जहां पर प्राकृतिक रूप से चलने की आजादी है , इस राष्ट्रीय उद्यान के बीचो-बीच देवना नदी प्रवाहित होती है , यह राष्ट्रीय उद्यान पंचमढी बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल है , मढई पर्यटन स्थल इसी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत है , यह राष्ट्रीय उद्यान हाथी, डोंगी, नाव, जीप और चलने की सफारी प्रदान करता है , इस राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले इंडियन बायसन जिसे गौर के नाम से जाना जाता है वर्तमान में सर्वाधिक गौर भारत में पाए जाते हैं यह जानवर बाघ से नहीं डरता है तथा मध्य प्रदेश के सभी अभयारण्यों और रिजर्व में पाया जाता है।
4.संजय राष्ट्रीय उद्यान
संजय राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के सीधी जिले के अंतर्गत आता है , इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1981 में हुई थी तथा इसे भारत सरकार द्वारा 2008 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल कर लिया गया था , इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 467 वर्ग किलोमीटर है , मध्य प्रदेश के विभाजन से पूर्व यह राष्ट्रीय उद्यान प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान था वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद इसका एक बड़ा भाग छत्तीसगढ़ के राज्य के पास चला गया इसका पुराना नाम डुबरी था , छत्तीसगढ़ में यह राष्ट्रीय उद्यान गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता है।
5.बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बघेलखंड पठार के उमरिया जिले में स्थित है जो सफेद बाघ के लिए प्रसिद्ध है , इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1968 में की गई थी तथा इसे 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया था , इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 448 वर्ग किलोमीटर है , यह राष्ट्रीय उद्यान देश में सर्वाधिक बाघों का घनत्व रखने वाला राष्ट्रीय उद्यान है इस राष्ट्रीय उद्यान में प्रति 8 किलोमीटर पर एक बाघ पाया जाता है जो देश में सर्वाधिक है , यह राष्ट्रीय उद्यान 32 पहाड़ियों से घिरा हुआ है इस राष्ट्रीय उद्यान में एक मुख्य पहाड़ है जो बांधवगढ़ कहलाता है इसमें एक किला एवं संस्कृत शिलालेख के साथ गुफा मंदिर भी है , इस नेशनल पार्क से निकलने वाली नदी चरणगंगा है , पहले बांधवगढ़ के चारों ओर फैले जंगल का रखरखाव रीवा के महाराजा के शिकारगाह के रूप में किया जाता था , सीता इस राष्ट्रीय उद्यान के बंगाल टाइगर में से एक है जो कि नेशनल ज्योग्राफिक मैगजीन के कवर पर दिखाई दी थी , मध्य प्रदेश में जंगल गलियारा योजना में बांधवगढ़ तथा कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यानों को एक संकरी पट्टी द्वारा सर्वप्रथम जोड़े जाने का प्रस्ताव रखा गया है इस प्रकार यह देश में पहला प्रयास है।
6.माधव राष्ट्रीय उद्यान
माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित है जो ग्वालियर संभाग के अंतर्गत आता है , इस यह राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1958 में की गई थी जिसका क्षेत्रफल लगभग 355 वर्ग किलोमीटर है , यह राष्ट्रीय उद्यान आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग (NH – 3) पर स्थित है , यह राष्ट्रीय उद्यान मूल रूप से ग्वालियर के महाराजा के लिए शाही शिकार का क्षेत्र था , इस राष्ट्रीय उद्यान में मानिहार नदी बहती है , इसी नदी पर माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1918 में बांधों का निर्माण कराते हुए सॉख्य सागर और माधव तालाब का निर्माण करवाया था , इस राष्ट्रीय उद्यान में एक पहाड़ी के शिखर पर जॉर्ज कैसल नामक एक भवन बना हुआ है , इस राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हिरण की हैं लेकिन मांसाहारी जानवर में तेंदुआ सबसे ज्यादा दिखाई देता है।
7.फॉसिल जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान
जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले (शाहपुरा तहसील) में स्थित है जिसका विस्तार मंडला जिले में भी है , यह मध्य प्रदेश का प्रथम जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान है , यह राष्ट्रीय उद्यान कान्हा और बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के बीच स्थित है , इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1968 में की गई थी ,यह क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है इसका क्षेत्रफल मात्र 0.27 वर्ग किलोमीटर है , इस राष्ट्रीय उद्यान को घुघवा के नाम से जाना जाता है इसे घुघवा फॉसिल पार्क भी कहते हैं , घुघवा जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान का प्रमुख स्थल है , यह नेशनल पार्क मुख्यतः पौधों के जीवाश्म का राष्ट्रीय उद्यान है यहां पर 6.5 करोड़ वर्ष पुराने पेड़ों के जीवाश्म अमूल्य धरोहर के रूप में मौजूद हैं , इस राष्ट्रीय उद्यान में विशेष रूप से कई पाम जीवाश्म पाए गए हैं , इस राष्ट्रीय उद्यान में पादपो तथा जंतुओं के जीवाश्म पाए जाते हैं , किसी जीवाश्म पार्क के जीवाश्म 40 से 150 मिलियन वर्ष पुराने होने चाहिए ।
8.पेंच राष्ट्रीय उद्यान
पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा जिले में तथा महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है , वर्ष 1977 में 449.39 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र को पेंच अभ्यारण क्षेत्र घोषित किया गया तथा वर्ष 1983 में इसमें से 292.85 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पेंच राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था एवं 118.47 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पेंच अभ्यारण के रूप में रखा गया , इस राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया था , इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 293 वर्ग किलोमीटर है , इस राष्ट्रीय उद्यान को इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पार्क भी कहा जाता है , इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम इसे दो भागों में बांटने वाली पेंच नदी के नाम पर हुआ है पेंच नदी इस राष्ट्रीय उद्यान को छिंदवाड़ा और शिवनी इन दो जिलों के बीच विभाजित कर देती है यह नदी उद्यान के उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर बहती है , यह राष्ट्रीय उद्यान मोगली की असली भूमि और रूडयार्ड किपलिंग द्वारा प्रसिद्ध जंगल बुक का क्षेत्र माना जाता है , इस राष्ट्रीय उद्यान में मोगली लैंड क्षेत्र तथा वाटर राफ्टिंग सुविधा है , इस राष्ट्रीय उद्यान में कृष्ण मृग की संख्या सर्वाधिक है , वर्ष 2002 में पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच अभ्यारण का नाम क्रमशः इंदिरा प्रियदर्शनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच मोगली अभ्यारण्य रखा गया।
9.वन विहार राष्ट्रीय उद्यान
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1979 में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में की गई थी इसका क्षेत्रफल 4.45 वर्ग किलोमीटर है , यह एक अनोखा राष्ट्रीय उद्यान है जिसको एक आधुनिक चिड़ियाघर के रूप में भी मान्यता प्राप्त है , इसे वर्ष 1983 में अंतः स्थलीय वन्य प्राणी संरक्षण राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देकर वन विहार नाम दिया गया , वर्ष 1993-94 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा चिड़ियाघर के रूप में मान्यता दी गई , वर्ष 2006-07 में मध्य भारत क्षेत्र का वन्य प्राणी रेस्क्यू सेंटर घोषित किया गया , यह राष्ट्रीय उद्यान थ्री इन वन राष्ट्रीय उद्यान है नेशनल पार्क के साथ-साथ, एक चिड़ियाघर तथा जंगली जानवरों का रेस्क्यू सेंटर भी है , इस राष्ट्रीय उद्यान के बीच में स्नेक पार्क (सर्प उद्यान) भी स्थित है , इस राष्ट्रीय उद्यान में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आम लोगों के दिल में वन्य प्राणियों के लिए स्नेह और जागरूकता बढ़ाने के लिए वन्य प्राणियों को गोद लेने की योजना प्रारंभ की गई है , इस राष्ट्रीय उद्यान को प्रतिष्ठित ISO9001: 2008 अवार्ड प्रमाण पत्र दिया गया है यह प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाला वन विहार देश का पहला राष्ट्रीय उद्यान है , यह प्रदेश का एकमात्र ऐसा चिड़ियाघर भी है जिसकी देख रेख वन विभाग करता है , अन्य चिड़ियाघर का प्रबंधन स्थानीय नगर निगम करते हैं।
10.ओंकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान
ओमकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ओमकारेश्वर के निकट स्थित है , इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना की जाने की अधिकृत घोषणा वर्ष 2004 में की गई थी , इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 293 वर्ग किलोमीटर है ।
11.डायनासोर जीवाश्म उद्यान
करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी से विलुप्त हो चुके डायनासोर के अंडो के जीवाश्म मध्यप्रदेश के धार जिले में खोजे गए जिनके संरक्षण के लिए प्रदेश के धार जिले में बाग के निकट डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान स्थापित किया गया है , इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना दिसंबर 2010 में किए जाने की मंजूरी प्रदान की गई थी किंतु इसकी स्थापना की अधिकारिक घोषणा जुलाई 2011 में की गई , इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 0.89 वर्ग किलोमीटर है , इस राष्ट्रीय उद्यान में 6.5 करोड़ वर्ष पुराने डायनासोर के जीवाश्म ( अंडे ) है , इस राष्ट्रीय उद्यान में एक म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा , इस राष्ट्रीय उद्यान में डायनासोर के घोंसले संरक्षित किए जाएंगे इसके अलावा करोड़ों वर्ष पुराने पत्थरों से निर्मित हथियार व समुद्री जीवो के जीवाश्म भी संग्रहित रहेंगे।
12.कूनो राष्ट्रीय उद्यान
कूनो राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित है जिसकी स्थापना 1981 में अभ्यारण के रूप में की गई थी, 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया , इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 413 वर्ग किलोमीटर है , इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर कूनो नदी बहती है , गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले एशियाटिक बब्बर शेरों को इस अभ्यारण में लाने के लिए इस अभ्यारण को नेशनल पार्क घोषित किया गया , भारत में चीता पुनर्वास परियोजना को वर्ष 2009 में लाया गया था हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2020 में मंजूरी मिली , इसे वर्ष 2009 में अफ्रीकन चीता के पुनर्स्थापना के लिए भी चिन्हित किया गया था , 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर नामीबिया (अफ्रीकी देश) से लाए गए 8 चीतों को प्रधानमंत्री द्वारा रिलीज किया गया , पालपुर कूनो अभ्यारण को भारत का पहला चीता अभ्यारण नामित किया गया है ।
मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य ( Important facts related to National Park of Madhya Pradesh ) :-
मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान ( क्षे. 940 वर्ग कि.मी.) है।
मध्य प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान ( क्षे. 0.27 वर्ग कि. मी. ) है ।
मध्य प्रदेश के विभाजन से पहले संजय राष्ट्रीय उद्यान सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान था जिसका अधिकांश भाग छत्तीसगढ़ में जाने से कान्हा सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान बन गया है।
प्राजेक्ट टाइगर की शुरूआत 1973 में भारत सरकार ने की थी।
म.प्र. में प्राजेक्ट टाइगर कार्यक्रम का प्रारंभ 1974 में कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान से किया गया।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान को इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पार्क भी कहा जाता है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान तमिलनाडु में है ।
मध्य प्रदेश सरकार ने बारहसिंघा को 1 नवंबर 1981 को राज्य की पशु घोषित किया है।
माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1918 में मनिहार नदी पर बांधों का निर्माण कराते हुए सॉख्य सागर और माधव तालाब का निर्माण करवाया था ।
मध्य प्रदेश के 6 राष्ट्रीय उद्यान तथा एक अभ्यारण प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत शामिल हैं। अर्थात प्रदेश में कुल 7 राष्ट्रीय उद्यान अभ्यारण प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व परियोजना में शामिल हैं जो देश में सर्वाधिक हैं। :-
1. कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान 1974
2. पेंच राष्ट्रीय उद्यान 1992
3. बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान 1993
4. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान 1994
5. सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान 1999-2000
6. संजय राष्ट्रीय उद्यान 2008
नोट :- मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित रातापानी अभ्यारण को 2013 में प्रोजेक्ट टाइगर में सम्मिलित किया गया था।
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय उद्यानों की सूची (12 National Park in MP list)
क्र• | राष्ट्रीय उद्यान | स्थापना वर्ष | क्षेत्रफल |
1. | कान्हा किसली | 1955 | 940 वर्ग कि.मी. |
2. | पन्ना राष्ट्रीय उद्यान | 1981 | 543 वर्ग कि.मी. |
3. | सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान | 1983 | 528 वर्ग कि.मी. |
4. | संजय राष्ट्रीय उद्यान | 1981 | 467 वर्ग कि.मी. |
5. | बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान | 1968 | 448 वर्ग कि.मी. |
6. | माधव राष्ट्रीय उद्यान | 1958 | 355 वर्ग कि.मी. |
7. | फॉसिल जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान | 1968 | 0.27 वर्ग कि.मी. |
8. | पेंच राष्ट्रीय उद्यान | 1983 | 292.85 वर्ग कि.मी. |
9. | वन विहार राष्ट्रीय उद्यान | 1979 | 4.45 वर्ग कि.मी. |
10. | ओंकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान | 2004 | 293 वर्ग कि.मी. |
11. | डायनासोर जीवाश्म उद्यान | 2010 | 0.89 वर्ग कि.मी. |
12. | कूनो राष्ट्रीय उद्यान | 2018 | 413 वर्ग कि.मी. |