जन्म -3 अक्टूबर 1928 जबलपुर मध्य प्रदेश
मृत्यु – 6 जुलाई 2018 जबलपुर में
शिक्षा – अमृतलाल बेगड़ ने 1948 से 1953 तक शांति निकेतन में कला का अध्ययन किया।
गुरु – नंदलाल बसु
अमृतलाल बेगड़ की रचनाएं :- तीरे-तीरे नर्मदा , सौंदर्य की नदी नर्मदा , अमृतस्य नर्मदा है।
प्रसिद्ध चित्रकार एवं लेखक अमृतलाल वेगड़ का जन्म मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ था इन्हें नर्मदा पुत्र कहा जाता है तथा इन्हें नर्मदा पुरुष के नाम से भी जाना जाता है।
गुजराती और हिंदी में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ और ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार’ से उन्हें सम्मानित किया गया था।
अमृतलाल बेगड़ जी ने नर्मदा की 4000 km. की परिक्रमा पैदल की है
अमृतलाल वेगड़ जी की पुस्तक सौंदर्य की नदी नर्मदा हिंदी और गुजराती भाषाओं में लिखी गई
अमृतलाल वेगड़ जी ने प्रथम पदयात्रा- 22 अक्टूबर 1977 को प्रारंभ किया तथा इनकी अंतिम पद यात्रा- 1987 में समाप्त हुई यह पूरी यात्रा 10 यात्राओं में पूर्ण हुई
- जबलपुर से मंडला – 22 अक्टूबर 1977
- मंडला से छिनगांव – 10 अक्टूबर 1978
छिनगांव अमरकंटक - 6 माह बाद – अमरकंटक से डिंडौरी
- 8 अक्टूबर 1979 – डिंडौरी से महाराजपुर
- 27 मई 1980 – महाराजपुर से ग्वारीघाट
- 17 नवंबर 1982 – ग्वारीघाट से बरमान घाट बरमान घाट से सांडिया
- 19 अक्टूबर 1983 सांडिया से होशंगाबाद , होशंगाबाद से हंडिया
- 4 अक्टूबर 1984 – हंडिया से ओम्कारेश्वर , ओंकारेश्वर से खलघाट
- 6 माह बाद – खलघाट से बोरखेड़ी , बोरखेड़ी से केली , केली से शूलपाणेश्वर
10 लगभग ढाई साल बाद 1987 – शूलपनेश्वर से कबीरबड , कबीरवड से विमलेश्वर , विमलेश्वर से मीठी तलाई , मीठी तलाई से कोलियाद , कोलियाद से भरूच
प्रथम पदयात्रा में अमृतलाल वेगड़ के साथ उनके मित्र पांडे जी तथा दो शिष्य यादवेंद्र, सूर्यकांत थे
अमृतलाल बेगड़ जी की प्रथम पदयात्रा ग्वारीघाट गांव से शुरू हुई
अमृतलाल बेगड़ जी ने नर्मदा यात्रा नर्मदे हरे ! उद्घोष के साथ शुरू की
अमृतलाल बेगड़ जी ने नर्मदा की तुलना गंगा से करते हुए कहा है कि :- ” श्रेष्ठ गंगा है लेकिन ज्येष्ठ नर्मदा “
अमृतलाल बेगड़ जी के अनुसार मंडला नर्मदा के कान कुंडल में बसा है
अमृतलाल बेगड़ जी ने नर्मदा को दिन में नर्मदा रात में रेवा दिन में दृश्य है तो रात में श्रव्य ऐसा बताया है